पटना : Bihar Caste Census: बिहार में लगातार जातीय जनगणना को लेकर सियासी बयानबाजी चलती रही है. पहले जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ सत्ता में थे तो तेजस्वी यादव इसको लेकर सरकार को घेर रहे थे. अब जब महागठबंधन के साथ वह सरकार चला रहे हैं तो इस मामले पर भाजपा की तरफ से उन्हें घेरा जा रहा है. बता दें कि बिहार में इसकी शुरुआत पिछले साल ही होनी थी लेकिन नीतीश सरकार ने इसे टाल दिया था. जिसको लेकर भाजपा नीतीश सरकार पर हमलावर थी और उकी मंशा पर सवाल उठा रही थी. 


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वहीं अब बिहार सरकार की तरफ से इस बात का फैसला ले लिया गया है कि बिहार में नए साल की शुरुआत के साथ अब जातीय जनगणना की भी शुरुआत होगी. इसको लेकर जो योजना बनाई गई है. उसकी मानें तो पहले चरण में आवासीय मकानों की गिनती होनी है. ऐसे में इस जनगणना की शुरुआत पटना के VIP इलाकों से होनी है. ये पटना के वो वीआईपी इलाके हैं जहां अधिकारियों, विधायकों और मंत्रियों के आवास हैं.


बता दें की जातीय गणना के इस पहले चरण में जो 7 जनवरी से शुरू हो रहा है, उसके तहत हर मकान की नंबरिंग की जाएगी. वहीं इन घरों के मुखिया और घर के अन्य सदस्यों का नाम लिखा जाएगा.


इस पूरे कार्यक्रम के तहत 7 से 21 जनवरी तक पहले आवासीय मकानों की गिनती होगी. इसके लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए हैं. इस काम को करने के लिए पटना को कुल 45 प्रक्षेत्रों में बांटा गया है. वहीं इसके लिए 2116 की संख्या में पर्यवेक्षक भी प्रशिक्षण के साथ तैयार किए गए हैं. आपको बता दें कि मकानों की गिनती और इशके नंबर लग जाने के बाद अप्रैल के महीने से हर मकान के अंदर रहनेवाले लोगों की संपूर्ण जानकारी इकट्ठा की जाएगी. वहीं इसके साथ उनका पेशा, जाति के साथ और 26 अन्य जानकारी इकट्ठा की जाएगी. 


बता दें कि इससे पहले इसको लेकर खूब सियासत प्रदेश में हुई है. प्रदेश की तरफ से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी इस विषय को लेकर मुलाकात की थी और पूरे देश में जातीय गणना कराने की मांग की थी. हालांकि तब केंद्र सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया था कि अभी जातीय गणना संभव नहीं है.इसके बाद बिहार सरकार ने अपने प्रदेश में राज्य सरकार के खर्च पर इसे कराने का फैसला किया. 


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