पटना: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा देश में आरक्षण के लिए समर्थन प्रकट किए जाने के बाद वरिष्ठ राजद नेता शिवानंद तिवारी ने गुरुवार को दावा किया कि उनकी बातों पर विश्‍वास करना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि यह बयान अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीति से प्रेरित है.


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वरिष्ठ राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा, "मैं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान का समर्थन करता हूं, लेकिन वह यही व्यक्ति हैं, जिन्होंने 2015 में देश में आरक्षण पर पुनर्विचार की वकालत की थी. मोहन भागवत संवैधानिक व्यवस्था के खिलाफ हैं. उन्‍होंने कुछ दिन पहले इंडिया के बजाय भारत शब्‍द के उपयोग की वकालत की थी. उनके बयान के बाद वैश्विक नेताओं को राष्ट्रपति द्वारा रात्रिभोज के लिए आमंत्रित किया गया था और जी20 के निमंत्रण कार्ड पर प्रेसिडेंट ऑफ भारत छपवाया गया."


वरिष्ठ राजद नेता शिवानंद तिवारी ने कहा, "आरएसएस हिंदू राष्ट्र की भी वकालत करता है. हिंदू समाज जातिगत भेदभाव पर आधारित है और हिंदू समुदाय के अधिकांश लोग ऐसी सामाजिक संरचना के कारण पीछे रह जाते हैं. संविधान में उल्लेख किया गया है कि भेदभाव से कैसे निपटा जाए. इसलिए आरएसएस के लोग संविधान बदलने की बात करते हैं. जब तक मोहन भागवत और आरएसएस हिंदू राष्ट्र बनाने का एजेंडा नहीं छोड़ेंगे, तब तक उनकी बातों का कोई मतलब नहीं है. कोई भी उन पर विश्‍वास नहीं करेगा. यह आगामी लोकसभा चुनाव में दलित और वंचित लोगों को लुभाने की एक सामरिक चाल है.'' .


भागवत ने नागपुर में कहा था : “हम सामाजिक व्यवस्था में अपने साथी मनुष्यों को पीछे रखे. हमने उनकी परवाह नहीं की और ये लगभग 2000 साल तक चलता रहा... जब तक हम उन्हें समानता नहीं दिला देते, तब तक कुछ सामाजिक उपाय करने होंगे. आरक्षण उनमें से एक है. भेदभाव होने तक आरक्षण जारी रहना चाहिए. संघ संविधान में प्रदत्त आरक्षण का पूर्ण समर्थन करता है.”


(इनपुट आईएएनएस के साथ)