Patna: Giriraj Singh News: ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह (Rural Development Minister Giriraj Singh) ने बुधवार को कहा कि व्यवसायिक संदेशवाहकों सखियों ने स्वयं सहायता समूहों की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां घटाने में अहम भूमिका निभायी है और सरकार हर पंचायत में एक ऐसी संदेशवाहक नियुक्त करने पर विचार कर रही है. जब से संस्थागत वित्तपोषण केंद्रबिंदु में आया है तब से ये सखियां बैंकों और ग्रामीण जनसंख्या के बीच अहम सेतु बन गयी हैं. ये सखियां गांवों में घर-घर जाती हैं तथा संस्थानिक ऋण एवं अन्य बैंकिंग सुविधाएं हासिल करने में लोगों को मदद करती हैं. 


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सरकार, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के जरिये 10 करोड़ से अधिक महिलाओं को जोड़ने पर ध्यान दे रही है. ग्रामीण विकास मंत्रालय के अनुसार, फिलहाल करीब 1,22,915 बीसी सखी हैं. सिंह ने कहा कि लेकिन मंत्रालय देश में सभी करीब ढाई लाख पंचायतों में कम से कम एक बीसी सखी नियुक्त करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है. 


उन्होंने कहा, 'स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भारत में उद्यमिता की राजदूत हो सकती हैं. जब मोदी सरकार सत्ता में आयी थी तब 2014 में इन एसएचजी की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां 9.58 प्रतिशत थी जो अब घटकर 1.8 प्रतिशत रह गयी हैं.' मंत्रालय के अनुसार 2013-14 से अबतक इन एसएचजी ने करीब 6.96 लाख करोड़ रुपये बैंक ऋण लिया है. 


ग्रामीण विकास मंत्री ने कहा कि संस्थागत वित्त की सुलभता और ब्याज माफी की वजह से इन एसएचजी में महिलाओं के लिए बड़ा अंतर आया है तथा इन समूहों द्वारा ऋण भुगतान में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा, ' सरकार का दृष्टिकोण संपोषणीय आजीविका एवं महिला केंद्रित विकास प्रदान करना है. हम बैंकिंग सुलभता को और सुगम बनाने के लिए सभी पंचायतों में बीसी सखी और बैंक सखी नियुक्त करने /रखने पर विचार कर रहे हैं.'


(इनपुट भाषा के साथ)