Guru Pradosh Vrat: आज करें गुरु प्रदोष व्रत का अनुष्ठान, भगवान शिव की पूजा देगी हर कष्ट से मुक्ति
Guru Pradosh Vrat Today: प्रदोष व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है. इनमें से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय प्रदोष व्रत आता है.जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है.
पटनाः Guru Pradosh Vrat Today: आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि है. इसके साथ ही दोपहर बाद त्रयोदशी तिथि लग रही है. ऐसे में जब त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय में हो, उसी दिन प्रदोष व्रत किया जाता है. जब प्रदोष का दिन गुरुवार को पड़ता है, तो इसे गुरु प्रदोष के नाम से जाना जाता है. आज गुरु प्रदोष व्रत के लिए सुबह से ही अनुष्ठान किया जा रहा है. सनातन परंपरा में इस व्रत का बहुत महत्व होता है. इस दिन शिव महादेव की पूजा होती है. गुरुवार को प्रदोष व्रत के समय हरिहर स्वरूप की पूजा करनी चाहिए.
कब होता है प्रदोष काल
प्रदोष व्रत चन्द्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है. इनमें से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष के समय प्रदोष व्रत आता है.जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है.प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है. जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं (जिसे त्रयोदशी और प्रदोष का अधिव्यापन भी कहते हैं) वह समय शिव पूजा के लिये सर्वश्रेष्ठ होता है.
जानिए आज के प्रदोष व्रत का समय और मुहूर्त
गुरु कृष्ण प्रदोष व्रत बृहस्पतिवार, जनवरी 19, 2023 को
प्रदोष पूजा मुहूर्त - 05:49 पी एम से 08:30 पी एम
अवधि - 02 घण्टे 41 मिनट्स
दिन का प्रदोष समय - 05:49 पी एम से 08:30 पी एम
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - जनवरी 19, 2023 को 01:18 पी एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - जनवरी 20, 2023 को 09:59 ए एम बजे
प्रदोष की पूजा विधि जानिए
आज गुरु प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें, घर को पहले ही स्वच्छ कर लें, क्योंकि गुरुवार को सफाई नहीं की जाती है.स्नान के बाद साफ-सुथरे और सूखे वस्त्र धारण कर लें. इसके बाद अब भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करके हुए व्रत का संकल्प लें
भगवान शिव की पूजा आरंभ करें. सबसे पहले गंगाजल छिड़ककर शुद्ध कर लें. अब भगवान शिव को पुष्प के माध्यम से जल चढ़ाएं.
जल के बाद सफेद फूल, माला, शमी, धतूरा, बेलपत्र, भांग, चीनी, शहद आदि चढ़ाएं.इसके बाद सफेद चंदन लगाकर अक्षत लगाएं.
यह लगाएं भोग
भोग में पुआ, हलवा या फिर चने चढ़ाएं.अब घी का दीपक जलाकर शिव जी के मंत्र, शिव चालीसा, प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें.
अंत में आरती करके भगवान शिव के सामने भूल चूक के लिए माफी मांग लें.इसके बाद प्रसाद सभी को बांट दें.आप दिनभर फलाहारी व्रत रखें और दूसरे दिन सूर्योदय के साथ व्रत का पारण करें.