पटना : बिहार के तीन लाख 69 लाख नियोजित शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज (मंगलवार को) सुनवाई करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बिहार सरकार को आपस में बैठक कर 27 मार्च तक नियोजित शिक्षकों की सैलरी पर पटना हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक समान कार्य के लिए समान वेतन देने पर विचार करने के लिए कहा था. बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर पटना हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. हाईकोर्ट ने समान कार्य के लिए समान वेतन देने का आदेश दिया था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बिहार में लगभग तीन लाख 69 हजार नियोजित शिक्षकों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हुई हैं. दरअसल, 31 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने नियोजित शिक्षकों की मांग को जायज ठहराते हुए राज्य सरकार को समान काम के लिए समान वेतन लागू करने का आदेश दिया था. लेकिन फैसले के खिलाफ राज्य सरकार सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में चली गई है.


पढ़ें- बिहार के 3.7 लाख कॉन्ट्रैक्ट टीचरों के लिए खुशखबरी, SC ने नीतीश सरकार को दिया झटका


राबड़ी देवी की सरकार में शुरू हुआ था नियोजन प्रक्रिया
बिहार में राबड़ी देवी सरकार में नियोजन की प्रक्रिया साल 2003 में शुरू हुई. उस समय नियोजित शिक्षकों को शिक्षामित्र के नाम से जाना जाता था और इनकी सैलरी महज 1500 रुपये हुआ करती थी. एक जुलाई 2006 को नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में सभी शिक्षामित्रों को पंचायत और प्रखंड शिक्षक के तौर पर समायोजित किया गया. इसके बाद ट्रेंड नियोजित शिक्षकों का वेतन पांच हजार, जबकि अनट्रेंड नियोजित शिक्षकों का वेतन चार हजार रुपए कर दिया गया. उसके बाद बिहार में लगातार नियोजित शिक्षकों की बहाली होती रही और अब इनकी संख्या तीन लाख 69 हजार के आसपास पहुंच चुकी है.


पढ़ें: बिहार में डरे फर्जी डिग्री वाले गुरुजी, 1400 ने दिया इस्तीफा


नियोजित शिक्षकों को 14 से 19 हजार तक मिलती है सैलरी
बिहार में क्लास एक से लेकर क्लास आठ तक नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालय अध्यक्षों को वर्तमान में 14 हजार से लेकर 19 हजार तक सैलरी मिलती है. इनमें ट्रेंड और अनट्रेंड शिक्षक शामिल हैं. समान काम के लिए समान वेतन का फैसला लागू होता होते ही इनका वेतन 37 हजार से 40 हजार तक पहुंच जाएगा.


बिहार सरकार नियोजित शिक्षकों के वेतन पर सालाना 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करती है. अगर सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट जैसा फैसला आता है तो नियोजित शिक्षकों का वेतन ढ़ाई गुना बढ़ जाएगा और इस तरह सरकारी खजाने पर 11 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा.