IAS-IPS Prepration: कैसे बनें बिहार-झारखंड के बच्चे IAS-IPS, डीएम संतोष राय ने बताया
सफलता किसी के रोके-रोकी नहीं जाती है. अभाव भी सफलता का कभी बाधक नहीं बन पाता है. सफलता पाने का कोई शॉर्टकर्ट भी नहीं होता है. इसके लिए समय का सदुपयोग और मेहनत दो ही ऐसी चीजें हैं जो आपको उसके करीब ले जा सकती है.
IAS-IPS Prepration: सफलता किसी के रोके-रोकी नहीं जाती है. अभाव भी सफलता का कभी बाधक नहीं बन पाता है. सफलता पाने का कोई शॉर्टकर्ट भी नहीं होता है. इसके लिए समय का सदुपयोग और मेहनत दो ही ऐसी चीजें हैं जो आपको उसके करीब ले जा सकती है. बिहार और झारखंड के बच्चे अभाव में भी सफलता की रोज नई इबारत लिखते हैं. बेरोजगारी और गरीबी ने भी यहां के छात्रों को कभी सफलता के रास्ते पर चलने से नहीं रोका. यही वजह है कि देशभर में किसी भी तरह का कंपटीशन हो उसमें आपको बिहार और झारखंड के छात्र सफलता के शिखर पर पहुंचते नजर आएंगे.
ऐसे में बिहार के समस्तीपुर के रहनेवाले IAS संतोष कुमार राय जो अभी दिल्ली में डीएम हैं उन्होंने बिहार और झारखंड के बच्चों को बताया कि वह संसाधनों की कमी के बाद भी कैसे BPSC और UPSC के एग्जाम के लिए बेहतर तैयारी कर सकते हैं और इस एग्जाम को क्रेक कर सकते हैं. अभावों से लड़कर कैसे सफलता हासिल की जा सकती है इसको IAS संतोष कुमार राय ने अपने जीवन में देखा है.
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IAS संतोष कुमार राय का मानना है कि बिहार-झारखंड में लोगों के पास रोजगार के लिए अन्य साधनों की संभावना कम है. ऐसे में उनके हिस्से में बचता है सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी करना. बिहार-झारखंड के बच्चे ऐसे में सबसे ज्यादा इन्हीं परीक्षाओं की तरफ अपना ध्यान केंद्रित करते हैं और इसी में रोजगार की संभावना तलाश करते हैं.
बिहार-झारखंड के गांवों में बसने वाले वह बच्चे जो अभाव का जीवन जी रहे हैं और जिन्हें इन परीक्षाओं के बारे में जानकारी ज्यादा नहीं होती दिक्कत उनके लिए ज्यादा बड़ी होती है. ऐसे में उन छात्रों को उचित मार्गदर्शन के साथ ही समय का सदुपयोग और पुस्तकों के चयन तक की समस्या हमेशा से रहती रही है. ऐसे में उन्होंने बताया कि जब वह दरभंगा में रहकर एग्जाम की तैयारी कर रहे थे और वहां से दिल्ली आए तो पता चला कि कैसे यहां तैयारियों का स्तर और स्टडी मेटेरियल वहां से एकदम अलग था.
IAS संतोष कुमार राय ने बताया कि जब वह सिविल सर्विस की ट्रेनिंग ले रहे थे तो वह लगातार बात करते थे कि बिहार-झारखंड के ऐसे जिलों के बच्चे जिनके पास इस तरह की सुविधा नहीं है उनतक यह कैसे पहुंचाया जा सके. इसके लिए उन्होंने अपने सिविल सर्विसेस के दोस्तों के साथ मिलकर 2014 में एक संगठन का गठन किया. NACS का गठन उन्होंने उसी साल 2014 में गठित किया और यह IAS फैक्ट्री बन गया.
यह संगठन बिहार-झारखंड के अलग-अलग जिलों में सेमिनार आयोजित करते हैं जिसमें जो छात्र तैयारी कर रहे हैं उनके सामने IAS टॉपर होते हैं और उनके साथ संवाद करते हैं और सब छात्रों को बताते हैं कि कैसे आप आगे की रणनीति तैयार करेंगे. इसके साथ ही बिहार-झारखंड का टेस्ट लेकर 200 बच्चों को सलेक्ट कर उनको ये संगठन खुद ट्रेनिंग देती है कि कैसे आप इस एग्जाम के लिए तैयारी कर सकते हैं. इसके बाद PT और Mains का एग्जाम पास करने वाले बच्चे को साक्षात्कार के लिए भी ट्रेनिंग दिया जाता है.
IAS संतोष कुमार राय ने बताया कि भविष्य में उनके संगठन का प्लान है कि पटना में एक NACS की अपनी बिल्डिंग हो जिसमें 200 के करीब बच्चे रह सकें. उनके खाने की व्यवस्था हो. उनके पठन-पाठन की भी व्यवस्था हो साथ ही उनके लिए एक लाइब्रेरी भी हो जिसमें वह अपनी पसंद और परीक्षा से जुड़ी किताबें पढ़ सकें. ताकि हम आगे इससे ज्यादा बच्चों की मदद कर सकें. इस संगठन में 1200 से ज्यादा अधिकारी जुड़े हुए हैं.
IAS संतोष कुमार राय बिहार के समस्तीपुर के बसंतपुर गांव के रहने वाले हैं. यहीं से अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली. इसके बाद ग्रेजुएश दरभंगा सीएम कॉलेज से किया. 2009 में उन्होंने एसएससी सीजीएल और असिस्टेंट कमांडेट की परीक्ष पास की. एक साल की ट्रेनिंग के दौरान हीं साल 2010 में उनका चयन असिस्टेंट सेक्शन ऑफिसर के पद पर हुआ. दिल्ली में ज्वाइन करने के बाद उन्होंने तैयारी शुरू कर दी और 2011 में यूपीएससी प्री निकाला लेकिन मेंस में सलेक्शन नहीं पाया. लेकिन, संतोष ने हिम्मेत नहीं हारी और 2012 में उन्होंने यूपीएससी क्वालीफाई किया और उन्हें IRS मिला. IRS की ट्रेनिंग के दौरान 2013 में उनको फिर से यूपीएससी के इंटरव्यू का कॉल आया. इस बार उनकी मेहनत का कमाल दिखा और उन्हें IAS कैडर मिल गया.