Ghar Vastu Tips: इस दिशा में होगा घर तो खुलेंगे भाग्य, जानिए घर के लिए वास्तु टिप्स
घर लेने के लिए पहली चाहत होती है कि घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो. इन दोनों दिशाओं के बाद लोगों की तीसरी पसंद पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाला घर होता है लेकिन दक्षिण दिशा वाले मकान में लोग बसने से डरते हैं
पटनाः Ghar Vastu Tips: हर किसी का एक सपना होता है कि सुकून भरा एक घर हो. अपने घरों में हम सकारात्मकता के साथ-साथ शांति और समृद्धि की कामना करते हैं. इस प्रकार, घर के लिए वास्तु की दिशा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. घर के लिए वास्तु दिशा संपत्ति की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा को प्रभावित करती है. इसमें दिशा का सबसे अधिक महत्व होता है. जानिए क्या कहती है कौन सी दिशा
ये है घर लेने की पहली चाहत
घर लेने के लिए पहली चाहत होती है कि घर का मुख वास्तु के अनुसार पूर्व या उत्तर दिशा में हो. इन दोनों दिशाओं के बाद लोगों की तीसरी पसंद पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार वाला घर होता है लेकिन दक्षिण दिशा वाले मकान में लोग बसने से डरते हैं. यही कारण है कि दक्षिणमुखी मकान और जमीन को जल्दी कोई ग्राहक नहीं मिलता है.
दक्षिण मुखी घर का वास्तु हो ठीक
दक्षिण मुखी घर को लेकर कहा जाता है कि ऐसे घर में रहने वाले व्यक्ति को कष्ट और समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे घर में रहने पर किसी की अकाल मृत्यु हो सकती है, जबकि वास्तुशास्त्री कहते हैं कि दक्षिण दिशा में मुख वाला घर अगर वास्तु अनुकूल बना हो तो दूसरी दिशाओं की तुलना में ऐसे घर में रहने वाले लोग बहुत ज्यादा यश और मान-सम्मान पाते हैं. ऐसे घर में रहने वाले लोगों का जीवन वैभवशाली होता है.
इस दिशा में हो सैप्टिक टैंक
घर का मुख्य द्वार दक्षिण पूर्व कोने में होना चाहिए. दक्षिण पश्चिम में मुख्य द्वार बिल्कुल नहीं होना चाहिए. इस स्थिति में घर वास्तु के अनुरूप कभी नहीं हो सकता. दक्षिण की तुलना में उत्तर दिशा में और पश्चिम की तुलना में पूर्व दिशा अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए. किसी भी प्रकार के भूमिगत टैंक जैसे फ्रैश वाटर टैंक, बोरिंग, कुंआ, इत्यादि केवल उत्तर दिशा, उत्तर ईशान, पूर्व ईशान व पूर्व दिशा के बीच ही कम्पाउंड वॉल के साथ हो इसका ध्यान रखें. सैप्टिक टैंक उत्तर या पूर्व दिशा में ही बनाएं.
उत्तर पूर्व कोण कटा हुआ, गोल, ऊंचा नहीं होना चाहिए और नैऋत्य कोण किसी भी तरह से बढ़ा हुआ या नीचा नही होना चाहिए. भवन के किसी भी हिस्से का फर्श ऊंचा नीचा नहीं होना चाहिए. यदि साफ-सफाई के लिए थोड़ी ढाल देना चाहें तो उत्तर, पूर्व दिशा या ईशान कोण की ओर ढाल दे सकते है. इसी प्रकार प्लॉट के खुले भाग की ढाल भी उत्तर, पूर्व दिशा एवं ईशान कोण की ओर ही दें ताकि बरसात का पानी ईशान कोण से होकर ही बाहर निकले.
यदि गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था उत्तर या पूर्व दिशा में न हो पा रही हो तो ऐसी स्थिति में कम्पाउंड वॉल के साथ प्लॉट के पूर्व ईशान से एक नाली बनाकर पूर्व आग्नेय की ओर बाहर निकाले या उत्तर ईशान से नाली बनाकर उत्तर वायव्य से बाहर निकाल दें. दक्षिण दिशा वाले घर का निर्माण वास्तु के इन नियमों का पालन करके बनाया जाए तो निवासियों के लिए ऐसे घर भाग्यशाली साबित होता है.