जमुई के सदर अस्पताल में मानसिक बीमार महिला ने किया हंगामा, घंटो बंद रहा इमरजेंसी डिपार्टमेंट
जिले के सदर अस्पताल में एक विक्षिप्त महिला का ड्रामा देख स्वास्थ्य कर्मी व अन्य लोग भी दंग रह गए. पूरे अस्पताल में अफरातफरी का माहौल उस वक़्त उत्पन्न हो गया जब विक्षिप्त महिला ने इमरजेंसी वार्ड में प्रवेश कर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.
जमुई: जिले के सदर अस्पताल में एक विक्षिप्त महिला का ड्रामा देख स्वास्थ्य कर्मी व अन्य लोग भी दंग रह गए. पूरे अस्पताल में अफरातफरी का माहौल उस वक़्त उत्पन्न हो गया जब विक्षिप्त महिला ने इमरजेंसी वार्ड में प्रवेश कर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया. इस दौरान कई मरीज भी इलाज के लिए आ गए और चिकित्सक भी इमरजेंसी के बाहर खड़े होकर गेट खुलने का इंतजार कर रहे थे. इस ड्रामे को देखकर काफी लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.
इस दौरान लोग गेट खुलने का इंतजार बाहर में रहकर करते रहे और विक्षिप्त महिला इमरजेंसी में रखें इंस्ट्रूमेंट को तोड़ते रही. इससे पहले विक्षिप्त महिला ने कंट्रोल रूम का शीशा भी तोड़ दिया. लगभग आधा घंटा तक इमरजेंसी गेट बंद कर विक्षिप्त महिला का ड्रामा चलता रहा. लोग गेट खुलवाने के लिए मन्नते करते रहे लेकिन विक्षिप्त महिला पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा. तब अंत में इमरजेंसी का गेट तोड़कर महिला को बाहर निकाला गया. उसके बाद स्वास्थ्य व्यवस्था बहाल हुई. जिसके बाद डाक्टर अभिषेक गौरव के द्वारा मरीजों का इलाज शुरू किया जा सका.
इससे पहले चिकित्सक अभिषेक गौरव ने कुछ मरीजों का इलाज इमरजेंसी के बाहर ही किया. मरीज आधा घंटे तक इंतजार करने का बाद भी जब इमरजेंसी कक्ष का दरवाजा नहीं खुला तो वो लोग मरीज को लेकर इलाज के लिए निजी क्लिनिक लेकर चले गए. जबकि गंभीर रूप से बीमार अरविंद मंडल तथा कृष्ण देव शर्मा इंतजार करते रहे. इमरजेंसी कक्ष का दरवाजा तोड़ने के बाद उक्त मरीज का इलाज शुरू किया जा सका.
बताया जा रहा है कि यह विक्षिप्त महिला तीन महीनों से सदर अस्पताल में ही रह रही है और कई बार तोड़फोड़ कर चुकी है. इसके बावजूद अब तक जिम्मेदारों के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही इस विक्षिप्त महिला से बचाव का कोई रास्ता निकाला गया है, जिससे प्रत्येक दिन कोई भी हादसा की संभावना बनी रहती है. वहीं, डॉ अभिषेक गौरव ने बताया कि एक मैंटल पेसेंट है वो इमरजेंसी रूम में घुस कर अंदर से दरवाजा बंद कर दिया, जिस वजह से आधे घंटे तक तक इलाज बाधित रहा था. इसके बाद दरवाजा की कुंडी तोड़ा गया और तब जाकर कहीं मरीजों का इलाज हो सका.
(इनपुट: अभिषेक निराला)