Independence Day Special: एक जमाना था जब भारत सोने की चिड़िया कहलाता था, लेकिन विदेशी आक्रांताओं ने इसे जमकर लूटा. अंग्रेज जब हमारा देश छोड़कर गए थे, तो अपने साथ अकूत संपत्ति ले गए थे. 15 अगस्त 1947 को जब देश आजाद हुआ था, तो हमारे पास खाने को अनाज तक नहीं था. देश भीषण भूखमरी से जूझ रहा था. इस साल 15 अगस्त को आजादी के 76 साल पूरे हो जाएंगे. इन 76 वर्षों में भारत ने विकास की एक नई इबारत लिखी है. आजादी के समय हमारे देश में एक सुई तक नहीं बनती थी, लेकिन आज हम लड़ाकू विमान तक बना रहे हैं. हम पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुके हैं. आज टेक्नोलॉजी में हमारा कोई तोड़ नहीं है. दुनिया के तमाम देश हमसे रक्षा उत्पाद खरीद रहे हैं. रूस और अमेरिका जैसे महाशक्तिशाली देश अंतरिक्ष में अपनी सैटेलाइट भेजने में हमारी मदद लेते हैं. 


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आज वैश्विक मुद्दों पर भारत की राय बड़ी अहम होती है और उसे पूरा विश्व बड़े गौर से सुनता है. विकास की इस यात्रा में हमने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. आजादी के इन सालों में हमने क्या खोया और क्या पाया है, आज इसकी भी बात करनी जरूरी है. आज देश के पास गर्व करने के लिए तमाम उपलब्धियां हैं तो अफसोस जताने के लिए भी कई वजहें हैं. 15 अगस्त 1947 को हम आजाद तो हुए, लेकिन यह आजादी विभाजन के साथ मिली. मोहम्मद अली जिन्ना की मांग पर अंग्रेजों ने धर्म के आधार पर भारत से पाकिस्तान को अलग कर दिया. इसकी वजह से भारत को अपना एक बड़ा भूभाग और लोगों को खोना पड़ा.


विभाजन का दर्द- विभाजन के दौरान पाकिस्तान से आने वाली गाड़ियों में लोगों की जगहों उनकी लाशें आईं. जिसकी वजह से पूरे देश में दंगे भड़क उठे. धर्म के आधार पर जमकर काटमार हुई. हिंदू-मुस्लिम के बीच पैदा हुई ये खाई अभी भी देखने को मिल जाती है. अभी भी देश में हिंदू-मुस्लिम के बीच फसाद हो जाता है. 


1948 में पाकिस्तान से युद्ध- आजादी के समय भारत से अलग हुए पाकिस्तान की नियत शुरू से ही हमारे प्रति सही नहीं थी. जब हम अपनी व्यवस्थाओं को सही करने में जुटे थे, तब वह हमारी जमीन पर कब्जा करने का प्लान बना रहे थे. आजादी के समय कश्मीर एक आजाद रियासत थी. कश्मीर को हड़पने के लिए अक्टूबर 1948 में कबाली लड़ाकुओं के साथ मिलकर पाकिस्तानी सेना ने उसपर हमला कर दिया. तब कश्मीर के महाराजा ने भारत से मदद मांगी. भारत के साथ विलय का समझौता होने पर भारत ने भी सैन्य कार्रवाई की और पाकिस्तानी सेना को मार भगाया. यहां पर पंडित नेहरू से एक बड़ी भारी भूल हो गई थी. वो कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लेकर चले गए. UNO ने संघर्ष विराम की घोषणा कर दी और जिसके कारण जो जहां था वहां पर उनका कब्जा हो गया. इसी कारण PoK हमसे अलग गया.


DRDO की स्थापना- 1958 में DRDO की स्थापना की गई थी. डीआरडीओ ने कई बड़े कार्यक्रम और आवश्यक तकनीक विकसित की है, जिसमें विमान, छोटे और बड़े हथियार, तोपखाने सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू) सिस्टम, टैंक और बख्तरबंद वाहन, सोनार सिस्टम, कमांड और कंट्रोल सिस्टम और मिसाइल सिस्टम शामिल हैं.


कृषि और अर्थव्यवस्था पर फोकस- आजादी के बाद देश के सामने भूखमरी एक बड़ी समस्या थी. इससे बाहर निकलने के लिए 1960 में हरित क्रांति की शुरुआत की गई थी. किसानों की दशा सुधारने के लिए इसके बाद स्वेत क्रांति, नीली क्रांति की शुरुआत हुई.


शैक्षिक प्रगति और नवाचार- आजादी के बाद भारत ने सबसे पहला काम अपनी शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने पर दिया. देश में शिक्षा को लेकर लोगों को जागरुक किया गया. सरकारी स्कूलों में मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की गई. आईआईटी जैसे संस्थानों खोले गए, जिससे देश विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में अग्रणी बन गया है.


1962 में चीन का विश्वासघात- आजादी के बाद से हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू हिंदू-चीनी भाई-भाई का नारा देते थे, लेकिन चीन ने पीठ में छूपा घोंपने का काम किया. चालबाज चीन ने हम पर युद्ध थोप दिया. उस वक्त हमारे पास पर्याप्त मात्रा में गोलियां भी नहीं थी. इस युद्ध में हमारे जवानों के पास पहनने को सही जूते तक नहीं थे. संसाधनों के अभाव के बावजूद हमारे जवान बड़ी बहादुरी के साथ लड़े. हालांकि, इस युद्ध में हमें हार का सामना करना पड़ा और अक्साई चिन पर चीन ने कब्जा कर लिया.


1965 में पाकिस्तान से युद्ध- चीन के साथ युद्ध की विभीषका से हम ऊबर भी नहीं पाए थे कि 1965 में पाकिस्तान ने फिर से हमपर हमला कर दिया. पाकिस्तान की योजना ऑपरेशन जिब्रॉल्टर के जरिए जम्मू कश्मीर में सेना भेजकर वहां भारतीय शासन के विरुद्ध विद्रोह शुरू करने की थी. 17 दिनों तक चले इस युद्ध में हजारों की संख्या में जनहानि हुई थी. आखिरकार फिर से सोवियत संघ और संयुक्त राज्य ने हस्तक्षेप करके युद्धविराम घोषित करवा दिया. 1966 में भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों ने ताशकन्द समझौता हुआ था. 


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भीषण अकाल की मार- 1966 में देश में भीषण अकाल पड़ा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान-जय किसान का नारा दिया था. देश को ऐसी परिस्थिति से बाहर निकालने के लिए लाल बहादुर शास्त्री ने देशवासियों से एक टाइम का खाना छोड़ने की अपील की थी. आज भी कई बुजुर्ग ऐसे मिल जाएंगे, जो अभी भी एक टाइम ही खाना खाते हैं. 


1971 में फिर पाकिस्तान से युद्ध- पाकिस्तान ने 1971 में एक बार फिर से हमपर हमला कर दिया. इस युद्ध में पाकिस्तान को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा. पाकिस्तान के 94 हजार से ज्यादा सैनिकों ने सरेंडर किया था और पश्चिमी पाकिस्तान को तोड़कर बांग्लादेश का निर्माण हुआ था. 


परमाणु परीक्षण- मई 1998 में भारत ने पोखरण में सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया. इसके साथ ही भारत भी परमाणु संपन्न देशों की लिस्ट में शामिल हो गया. चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी होने के कारण ये देश की एक बड़ी सफलता है. भारत पूरी दुनिया से छुपाकर परमाणु परीक्षण किया था. भारत 1974 में पहला परमाणु परीक्षण था तब पूरी दुनिया ने हम पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे. 


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कारगिल युद्ध- नापाक पाकिस्तान ने 1999 में एक बार फिर से अपना रंग दिखा दिया. इस बार पाकिस्तानी सेना ने सीधा हमला ना करके घुसपैठियों के भेष में हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. 3 मई 1999 में एक चरवाहे ने इसकी जानकारी भारतीय सेना को दी. 5 मई को भारतीय सेना के जवानों को इलाके में गश्त के लिए भेजा गया, लेकिन पाक सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी. 10 मई को भारतीय सेना ने अपना इलाका वापस पाने के लिए 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया. 26 जुलाई को युद्धविराम होने तक भारतीय जवानों ने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए. ये युद्ध भी हम ही जीते थे.


तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था पर नजर- दुश्मनों की लाख कोशिशों के बाद भी भारत दिन दूनी और रात चौगुनी तरक्की करता रहा. आज देश पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है. आजादी के समय भूखमरी से जूझ रहा भारत आज पूरी दुनिया को कई महीनों तक खाना खिला सकता है. आज दुनिया की अधिकांश देशों में भारतीय अपने हुनर का लोहा मनवा रहे हैं. सपेरों का देश कहा जाने वाला भारत आज कई वस्तुओं के उत्पादन में नंबर वन पर है. देश जिस हिसाब से उन्नति कर रहा है, उससे वो वक्त दूर नहीं जब देश तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.