देश के अगले उपराष्ट्रपति होंगे जगदीप धनखड़, जानें कैसे विज्ञान के छात्र का राजनीति की तरफ हुआ झुकाव
जनता दल के साथ अपनी राजनीति की शुरुआत जगदीप धनखड़ ने की थी. इसके बाद वह 1989 में झुंझनू से सांसद बने. यहां से पहली बार सांसद बनकर संसद भवन पहुंचे तो उन्हें 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया.
पटना : उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आ गए हैं. भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए के उम्मीदवार जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं. जगदीप धनखड़ ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा को हराकर यह जीत दर्ज की है. जगदीप धनखड़ को इस चुनाव में 528 मत प्राप्त हुए जबकि उनकी प्रतिद्वंदी मार्गरेट अल्वा को 182 मत ही मिले. जीत का यह अंतर काफी बड़ा रहा.
राजस्थान की मिट्टी में पले बढ़े जगदीप धनखड़
राजस्थान के छोटे से जिले झुंझुनू से आने वाले जगदीप धनखड़ ने देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर पहुंचने के बीच कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. जगदीप धनखड़ ने अपने पूरे जीवन में खूब संघर्ष किया है. आज हम उनके पूरे जीवन चक्र को आपके साथ साजा करेंगे और और बताएंगे की राजनीति के क्षेत्र में उनका सफर कैसा रहा.
विज्ञान के छात्र का ऐसे हुआ राजनीति की तरफ आना
बता दें कि 18 मई 1951 को जगदीप धनखड़ का जन्म राजस्थान के झुंझनू जिले के किठाना में हुआ था. उनके पिता का नाम गोकल चंद और मां का नाम केसरी देवी है. वह चार भाई बहन हैं और जगदीप धनखड़ का स्थान दूसरा है. उनकी शुरुआती पढ़ाई गांव किठाना के ही सरकारी स्कूल से हुई. इसके बाद वह गरधाना के सरकारी मिडिल स्कूल में पढ़ाई के लिए गए. यहां के बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल से पढ़ाई की. 12 वीं तक पढ़ाई के बाद स्नातक में उनका विषय भौतिकी विज्ञान रहा. फिर उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की.
IIT, NDA और UPSC की परीक्षाओं में सफलता हासिल की थी
बता दें कि जगदीप धनखड़ का चयन IIT और फिर NDA के लिए भी हुआ था, लेकिन वह वहां नहीं गए. उन्होंने UPSC की परीक्षा भी पास कर ली थी, लेकिन उन्होंने वकालत को पेशे के रूप में चुना. राजस्थान हाईकोर्ट से उन्होंने अपनी वकालत की शुरुआत की. वह राजस्थान बार काउसिंल के चेयरमैन भी रहे.
जनता दल के साथ की थी अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत
जनता दल के साथ अपनी राजनीति की शुरुआत जगदीप धनखड़ ने की थी. इसके बाद वह 1989 में झुंझनू से सांसद बने. यहां से पहली बार सांसद बनकर संसद भवन पहुंचे तो उन्हें 1989 से 1991 तक वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया. 1991 में जनता दल ने उनका टिकट काटा तो वह कांग्रेस में शामिल हो गए. फिर 1993 में वह कांग्रेस के टिकट पर अजमेर के किशनगढ़ से चुनाव लड़े और विधायक बने. 2003 में उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहा और भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद 2019 में इन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया.
ये भी पढ़ें- Vice Presidential Election 2022: जगदीप धनखड़ ने जीता उपराष्ट्रपति चुनाव, 11 अगस्त को होगा शपथग्रहण
बेटे की मौत के बाद पूरी तरह से टूट गए थे धनखड़
1979 में जगदीप धनखड़ की शादी सुदेश धनखड़ के साथ हुई. इनके दो बच्चे थे. एक बेटी और एक बेटा. बेटे का नाम दीपक और बेटी का नाम कामना, लेकिन नियती को कुच और ही मंजूर था. बेटा दीपक जब 14 साल का हुआ तो उसका ब्रेन हेम्ब्रेज हो गया. दिल्ली में इलाज हुआ लेकिन उसकी मौत हो गई. बेटे की मौत के बाद जगदीप धनखड़ पूरी तरह टूट गए थे. फिर उन्होंने अपने आप को संभाला और आज वह देश के दूसरे सर्वोच्च पद पर पहुंच गए हैं. 11 अगस्त को उनका शपथग्रहण भी होना तय है.