पटना: Mainpuri bypoll 2022: जदयू ने यूपी की मैनपुरी सीट पर समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान करके राजनीतिक दांव खेला है. पार्टी खुद को राष्ट्रीय स्तर का दिखाना चाहती है, लेकिन बिहार के बाहर पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़ दें, तो जदयू का जनाधार कहीं और देखने को नहीं मिलता है. यूपी जैसे राज्य में तो उसका अब तक कभी खाता भी नहीं खुला. 


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जदयू को एक भी सीट पर नहीं मिली सफलता
पिछले विधानसभा चुनाव में जदयू ने अकेले चुनाव लड़ा था, लेकिन एक भी प्रत्याशी को जिताने में कामयाब नहीं हो पायी थी. इसके बावजूद समाजवादी पार्टी का समर्थन पार्टी की ओर से किये जाने को महज औपचारिकता माना जा रहा है. 


नीतीश के दिल्ली दौरे का क्या हुआ?
बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष के नजरिये से देखें, तो ये समर्थन इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि जदयू के सर्वमान्य नेता नीतीश कुमार को पार्टी ने राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विकल्प बनाने के लिए अधिकृत किया है. इसके लिए वो दो बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात कर चुके हैं. हालांकि दोनों दौरों का क्या नतीजा निकला, ये अभी तक खुल कर सामने नहीं आया है, लेकिन सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद राष्ट्रीय एकता की मुहिम जिस तरह से धीमी पड़ी है, उसको लेकर भाजपा नेता लगातार सवाल उठाते रहे हैं. 


बीजेपी पूछ रही सवाल
पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री की मुहिम को फ्लॉप करार दिया और कहा कि डेढ़ महीने में नीतीश कुमार ने एक भी दिल्ली दौरा नहीं किया है और न ही किसी अन्य दल के बड़े नेता उनसे मिलने के लिए बिहार आये हैं. 


जदयू को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की कवायद
अगर जदयू की बात करें, तो उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह पार्टी को 2023 में राष्ट्रीय पार्टी के रूप में मान्यता दिलाने की बात कहते रहे हैं. उनका कहना है कि पार्टी को मजबूत किया जा रहा है और वो 2023 में राष्ट्रीय दल बन जायेगा, भले ही भाजपा की ओर से जदयू को तोड़ने की कितनी भी कोशिश की जाये. 


बिहार के बाहर टूट रहा 'तीर'
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए जदयू की ओर से विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारे जाते रहे हैं. यूपी, गुजरात समेत तमाम राज्यों में पार्टी की ओर से प्रत्याशी उतारे गये थे, लेकिन किसी को सफलता नहीं मिल पायी. 


जेडीयू के घर में बीजेपी की सेंध!
बिहार के बाहर जदयू का राजनीतिक वजूद अरुणाचल, नागालैंड और मणिपुर जैसे राज्यों में देखने को मिलता है. हालांकि वहां भी भाजपा ने जदयू में सेंध लगा दी. मणिपुर में पार्टी के छह विधायक थे, जिनमें से पांच को भाजपा अपने में शामिल करा लिया था. पांचों विधायकों को उस दिन भाजपा में शामिल कराया गया, जब जदयू की पटना में राज्य और राष्ट्रीय परिषद की बैठक हो रही थी. बताया जाता है कि विधायक बैठक में शामिल होने के लिए मणिपुर से पटना के लिए रवाना होनेवाले थे, लेकिन उससे पहले ये दलबदल हो गया. जदयू ने इसे धनबल के आधार पर किया गया दल बदल करार दिया था. 


जब जदयू और भाजपा बिहार में साथ में मिलकर एनडीए की सरकार चला रहे थे, तब भी अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने जदयू के सात में से छह विधायकों को अपने में शामिल करा लिया था. उस समय गठबंधन धर्म निभाते हुए जदयू ने इस टूट पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी थी. इस साल जब 9 अगस्त को जदयू भाजपा से अलग हुई, तो उसके बाद 25 अगस्त को अरुणाचल के एक मात्र बचे जदयू विधायक को भाजपा में शामिल करा लिया. 


यूपी में भी जेडीयू का नहीं चला जादू
अगर, उत्तर प्रदेश की बात करें, तो जदयू ने विधानसभा चुनाव में 20 प्रत्याशी उतारे थे, जिसमें जौनपुर के बाहुबली धनंजय सिंह भी शामिल थे, जिन्हें पार्टी ने मल्हानी सीट से टिकट दिया था, उनके जीतने की उम्मीद लगायी जा रही थी, लेकिन वो भी अपनी सीट जीतने में कामयाब नहीं रहे. बाकी 19 सीटों पर जदयू के बुरी तरह से हार हुई थी. हालांकि पार्टी संगठन में जान फूंकने के लिए इसी महीने पांच नवंबर को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने उत्तर प्रदेश का दौरा किया था, जहां कानपुर में पार्टी के कार्यक्रम में शामिल हुए थे. 


झारखंड के अलग होने का जेडीयू पर फर्क
सन 2000 तक झारखंड बिहार का हिस्सा था, तब वहां पर जदयू मजबूत स्थिति में थी, लेकिन अलग झारखंड राज्य बनने के बाद जदयू झारखंड में कमजोर होती चली गयी. अब पार्टी का झारखंड में संगठन तो है, लेकिन पार्टी का कोई विधायक या एमपी झारखंड से नहीं है. 


जेडीयू ने बिहार कोटे से भेजा राज्यसभा
झारखंड जदयू के अध्यक्ष खीरू महतो को जदयू ने बिहार कोटे से राज्यसभा भेजा है, जब उन्हें केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का टिकट काट कर राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया गया था, तब काफी राजनीतिक हलचल हुई थी, लेकिन पार्टी की ओर से कहा गया था कि झारखंड में दल को मजबूत करने के लिए फैसला लिया गया है, लेकिन इस फैसले का अब तक कोई असर देखने को नहीं मिला है.