Kanwar Yatra Niyam: जानें कितने प्रकार की होती है कांवड़ और क्या है नियम, यात्रा से पहले जानिए हर एक बात
Kanwar Yatra Niyam: देवघर सावन महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. हर साल लाखों की संख्या में कांवड़ियां सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर देवघर में बाबा पर जलाभिषेक करते हैं. ऐसे में कांवड़ यात्रा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है.
पटना: Kanwar Yatra Niyam: देवघर सावन महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. हर साल लाखों की संख्या में कांवड़ियां सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर देवघर में बाबा पर जलाभिषेक करते हैं. ऐसे में कांवड़ यात्रा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिलता है. ऐसे में आज हम आपको कांवड़ यात्रा कितने प्रकार की होती है और कांवड़ के दौरान किन किन नियमों का पालन किया जाता है इसके बारे में बताने जा रहे हैं.
कितने प्रकार के होते हैं कांवड़
सामान्य कांवड़:
कांवड़ यात्रा के दौरान सामान्य कांवड़िए जहां चाहे वहां रुककर आराम कर सकते हैं. उनके आराम करने के लिए रास्ते में कई जगह पंडाल भी लगे होते हैं, जहां रुककर विश्राम करके वो फिर से अपनी यात्रा को शुरू करते हैं.
डाक कांवड़:
डाक कांवड़िए कांवड़ यात्रा की शुरूआत से लेकर जब तक भगवना शिव का जलाभिषेक नहीं कर देते तक बिना रुके लगातार चलते रहते हैं. भगवान शिव के मंदिरों में उनके लिए विशेष तरह के इंतजाम भी किए जाते हैं. जब वो आते हैं उनके लिए हर कोई रास्ता बनाता है. ताकि बिना रुके वो शिवलिंग तक चलते रहें.
खड़ी कांवड़:
बाबा के कुछ भक्त खड़ी कांवड़ लेकर जलाभिषेक करने जाते हैं. इस दौरान कोई-न-कोई सहयोगी उनकी मदद के लिए उनके साथ चलता है. जब वो आराम करते हैं, तो उनके सहयोगी अपने कंधे पर उनके कांवड़ लेकर कांवड़ को चलने के अंदाज में हिलाते रहते हैं.
दांडी कांवड़:
दांडी कांवड़ में बाबा के भक्त गंगा तट से भोलेनाथ के मंदिर तक की यात्रा दंड देते हुए पूरी करते हैं. बाबा के ये भक्त कांवड़ पथ की दूरी को अपने शरीर की लंबाई से लेट कर नापते हुए पूरी करते हैं. इसे बेहद मुश्किल यात्रा माना गया है. इसे पूरा करने में एक महीने तक का समय भी लग जाता है.
कांवड़ यात्रा के नियम
कांवड़ यात्रा करने के लिए कई नियम होते हैं, जिनको हर कांवड़िया पूरा करने का संकल्प लेता है. यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का नशा, मदिरा, मांस और तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए. कांवड़ को कभी भी बिना स्नान किए हाथ नहीं लगाना चाहि. इसके अलावा चमड़ा का स्पर्श नहीं करना, वाहन का प्रयोग नहीं करना, चारपाई का उपयोग नहीं करना, वृक्ष के नीचे भी कांवड़ नहीं रखना, कांवड़ को अपने सिर के ऊपर से लेकर कभी भी नहीं जाना चाहिए.