Diwali 2024: हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दीपावली का उत्सव मनाया जाता है. इस खास मौके पर सभी भक्त माता लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा करते हैं. हालांकि, बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता कि माता लक्ष्मी और गणेश की पूजा क्यों की जाती है और रिद्धि-सिद्धि का क्या महत्व है. इसके अलावा दीपावली पूजा में शुभ-लाभ का उल्लेख क्यों किया जाता है, यह भी जानना जरूरी है.


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लक्ष्मी मां की पूजा का महत्व
आचार्य मदन मोहन के अनुसार कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी का आगमन हुआ था. कुछ लोग इस दिन को माता लक्ष्मी का जन्म दिवस भी मानते हैं. कई जगहों पर इसे देवी लक्ष्मी के जन्मदिन के रूप में मनाने की परंपरा है. भारतीय कालगणना के अनुसार 14 मनुओं का समय समाप्त होने और प्रलय के बाद नई सृष्टि की शुरुआत दीपावली के दिन हुई थी. इसे कालरात्रि के नाम से भी जाना जाता है, जो शुभता और सुख-समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है.


दीवाली पर गणेश और लक्ष्मी माता की पूजा
आचार्य के अनुसार भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व बहुत अधिक है. माता लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं साथ गणेशजी की पूजा करना जरूरी है. भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के प्रतीक माने जाते हैं और बिना इन गुणों के धन-संपत्ति का अर्जन करना मुश्किल होता है. माता लक्ष्मी की कृपा से ही व्यक्ति को धन और समृद्धि मिलती है. साथ ही माता लक्ष्मी का जन्म जल से हुआ था और जल की प्रवाहशीलता लक्ष्मी के स्वभाव को दर्शाती है, जो कभी स्थिर नहीं रहतीं. लक्ष्मी को संभालने के लिए बुद्धि और विवेक की जरूरत होती है. इसीलिए, दिवाली के अवसर पर लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा की जाती है, ताकि धन के साथ-साथ बुद्धि भी प्राप्त हो सके. कहा जाता है कि जब लक्ष्मी आती हैं, तो उनकी चमक में व्यक्ति अपना विवेक खो देता है, जिससे वह सही निर्णय नहीं ले पाता. इसलिए, लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी की पूजा का महत्व अत्यधिक है.


Disclaimer: यहां प्रस्तुत सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्था पर आधारित हैं. Zee Bihar Jharkhand इसकी पुष्टि नहीं करता. इसके लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.


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