Lok Sabha Election 2024: गंडक, गन्ना और गुंडा इन तीन समस्याओं का गढ़ गोपालगंज, जानें इस लोकसभा सीट के बारे में
बिहार का गोपालगंज लोकसभा सीट एक ऐसा सीट जो कभी कांग्रेस तो कभी लालू की पार्टी का गढ़ बना रहा फिर इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया. इस सीट का सियासी रंग काफी दिलचस्प रहा है.
Lok Sabha Election 2024: बिहार का गोपालगंज लोकसभा सीट एक ऐसा सीट जो कभी कांग्रेस तो कभी लालू की पार्टी का गढ़ बना रहा फिर इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया. इस सीट का सियासी रंग काफी दिलचस्प रहा है. इस सीट पर एक बात साफ देखी गई कि जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस के लिए साहनुभूति की लहर पूरे देश में दौड़ रही थी तब भी यह सीट कांग्रेस बचा नहीं पाई थी. इस सीट पर 80 के बाद किसी भी उम्मीदवार को जनता ने दोबारा संसद नहीं भेजा. इस क्षेत्र में विकास की तो रौशनी अभी भी नहीं पहुंची है जबकि इसने तीन-तीम मुख्यमंत्री दिए हैं. हां गंडक, गन्ना और गुंडा जैसी समस्याओं का यह क्षेत्र जरूर रहा है.
गोपालगंज लोकसभा सीट को भी 6 विधानसभा बैकुंठपुर, बरौली, गोपालगंज, कुचायकोट, भोरे, हथुआ को मिलाकर बनाया गया है. यह सीट 2019 में भाजपा ने अपने गठबंधन सहयोगी जदयू को लड़ने के लिए दी थी और यहां से डॉ आलोक कुमार सुमन सांसद हैं.
इस सीट का जातीय समीकरण देखें तो यहां यादव, ब्राह्मण, मुस्लिम, कुर्मी, भूमिहार, कुशवाहा, वैश्य और महादलित आबादी बसती है और चुनावओं में इन सब का दबदबा रहता है. यहां का चुनाव कभी स्थानीय मुद्दों पर नहीं लड़ा गया नहीं तो इस क्षेत्र का विकास इतनी द्रुत गति से नहीं होता.
यह सीट ऐसा रहा है जहां मोदी लहर के बाद भी 2014 में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. गोपालगंज बिहार को तीन सीएम देने वाला जिला है. यहां से लालू यादव और राबड़ी देवी आती है. लालू का घर इसी जिले में पड़ता है.वहीं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल गफूर भी इसी जिले से आते थे.
इस जिले की सीमा उत्तर प्रदेश से लगती है. यहां का थावे दुर्गा मंदिर आज भी हिंदू आस्था का बड़ा शक्ति केंद्र है. यहां देवी को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से लोग पुकारते हैं. 2009 से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित कर दिया गया है.