पटनाः Matri Navmai Puja Vidhi: पितृपक्ष में वैसे तो पूरे 15 दिन में श्राद्ध पूजन किया जाता है, लेकिन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि का अलग ही महत्व है. ब्रह्म पुराण की एक कथा के अनुसार, यही वह समय है, जब पितृ धरती पर वास करते हैं और अपने परिजनों के सुखमय जीवन की कामना करते हैं. शास्त्रों के अनुसार नवमी तिथि के दिन दिवगंत महिलाओं का श्राद्ध कर्म किया जाता है, इसलिए इस तिथि को मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है.


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मान्यता है कि इस दिन दिवगंत महिलाओं का श्राद्ध कर्म करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. इस दिन परिवार के सदस्य अपनी माता और परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से महिलाओं को सदा सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है. जानिए मातृ नवमी की तिथि, शुभ मुहूर्त, तर्पण विधि महत्व और पूजन विधि.


मातृ नवमी श्राद्ध विधि-
1. श्राद्ध पक्ष की नवमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
2. यदि आप यह विधि घर पर कर रहे हैं तो घर के दक्षिण दिशा में एक चौकी रखकर उस पर सफेद रंग का वस्त्र या आसन बिछाएं.
3. इसके बाद चौकी पर अपने परिवार के मृत परिजन(माता, दादी, बहन) की फोटो रखकर इस पर फूल माला चढ़ाएं.
4. इसके उपरांत उनके समक्ष तिल के तेल का दीपक जलाएं.
5. दीपक जलाने के बाद अपने पितृ की तस्वीर पर गंगाजल और तुलसी दल अर्पित करें. पिंड दान एवं तर्पण करे.
6. फिर श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करें.
7. पूजा के बाद अपने पितरों के लिए भोजन निकालें.
8. पंचबलि यानी गाय, कौआ, चींटी, चिड़िया और ब्राह्मण के लिए भी भोजन निकालें.


मातृ नवमी शुभ मुहूर्त
पंचांग के मुताबिक, आश्विन मास के कृष्णपक्ष की नवमी तिथि ही मातृ नवमी श्राद्ध के नाम से प्रसिद्ध है. इस दिन परिवार के सदस्य अपनी माता और परिवार की ऐसी महिलाओं का श्राद्ध करते हैं, जिनकी मृत्यु एक सुहागिन के रूप में होती है.


मातृ नवमी श्राद्ध तिथि प्रारंभ- 18 सितंबर, संध्या 04:32 बजे से
मातृ नवमी श्राद्ध तिथि समाप्ति- 19 सितंबर, संध्या 07:01 बजे 
मातृ नवमी श्राद्ध का कुतुप मुहूर्त- 19 सितंबर, सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 बजे तक
 कोशिश करें कि मातृ नवमी श्राद्ध कर्म 19 सितंबर, दिन सोमवार को सुबह 11:50 से दोपहर 12:39 बजे के बीच ही करें.


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