पटना: Mulayam Singh Biography: सपा संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव का आज सोमवार सुबह निधन हो गया. उन्होंने सुबह 8 से 8:30 बजे के बीच गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. उनके निधन से पूरे राजनीति जगत में शोक की लहर है. राजनीतिक जीवन में आने से पहले मुलायम सिंह यादव पहलवानी करते थे और फिर उसके बाद उन्होंने टीचिंग भी की. मुलायम सिंह ने अपने जीवन में हर धूप छांव देखी हैं. खुद की पार्टी बनाने से पहले वो कई दलों में भी रहे. यूपी पर उन्होंने एक दो बार नहीं बल्कि तीन बार राज किया था. 


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तीन बार यूपी के सीएम 
मुलायम सिंह यादव के सियासी सफर की अगर बात करें तो 9 बार विधानमंडल के सदस्य, 7 बार लोकसभा के सदस्य, 1 बार केंद्र में मंत्री और तीन बार वो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. मुलायम सिंह यादव की सियासी पारी काफी लंबी रही और उनकी राजनीति से जुड़े कई किस्से आज भी मशहूर है. उनकी राजनीतिक जीवन मौके ऐसे आए जब वो देश के प्रधानमंत्री सकते थे, लेकिन उनके सियासी साथी और बाद में समधी बनने वाले लालू प्रसाद ने उनका रास्ता रोक दिया. कहा जाता है कि नब्बे के दशक के शुरुआत में देश में पिछड़ों का बड़ा नेता कौन हो, इस मुद्दे पर लालू यादव और मुलायम सिंह यादव दोनों अलग हो गए थे.  लालू यादव ने 1997 में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनते समय मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया था.


लालू यादव ने नहीं बनने दिया पीएम
1996 में जब अटल बिहारी वाजपेयी वाजपेयी ने सरकार बनाई तो वो बहुमत सिद्ध नहीं कर पाए. जिसके चलते 13 दिनों के अंदर ही उनकी सरकार गिर गई. इसके बाद जनता दल सहित कई दलों को मिलाकर एक संयुक्त मोर्चे का गठन हुआ. कांग्रेस ने इस मोर्चे बाहर से समर्थन दिया और बहुमत का आंकड़ा पूरा हो गया. मुलायम सिंह यादव पीएम पद की शपथ लेने के लिए पूरी तरीके से तैयार भी थे. लेकिन लालू यादव (Lalu Yadav) और शरद यादव ने ऐन मौके पर अड़ंगा लगा दिया. माना जाता है कि मुलायम के नाम पर वीपी सिंह भी तैयार नहीं थे. बाद में मुलायम सिंह यादव ने ये बयान भी दिया कि वीपी सिंह, लालू यादव और शरद यादव ने उन्हें पीएम नहीं बनने दिया. 


दूसरी बार चूके मुलायम
मुलायम को देश का पीएम बनने का एक और मौका तब मिला जब कांग्रेस के दबाव में देवगौड़ा की बजाए किसी और को पीएम पद की कमान देने की बात शुरू हुई. देवगौड़ा के जाने के बाद मुलायम सिंह का पीएम बनना तय हो गया था, लेकिन लालू प्रसाद ने एक बार फिर से उनके नाम पर सहमति नहीं दी और और इंद्र कुमार गुजराल प्रधानमंत्री बनाया गया. इस घटना के बारे में मुलायम सिंह यादव और उनके सहयोगियों ने कई बार सार्वजनिक तौर पर भी जिक्र किया है. हालांकि बाद के दिनों में लालू यादव ने मुलायम सिंह यादव का समर्थन करना शुरू कर दिया, लेकिन तब तक हालात बदल चुके थे


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