पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने सोमवार को राहुल गांधी से मिलने के बाद मंगलवार को दक्षिण के कुमारस्वामी से मुलाकात की. इसके बाद लेफ्ट के सीताराम येचुरी, ओपी चौटाला, सीएम केजरीवाल, सपा नेता मुलायम सिंह यादव और अखिलेश से मुलाकात की. 


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गैर बीजेपी दलों को साथ लाने की कवायद
दिल्ली के लिए निकलने से पहले नीतीश ने लालू प्रसाद यादव से बात की. इससे पहले वो पटना में केसीआर से मिल चुके हैं. कुल जमा बात ये है कि नीतीश ने 2024 के लिए विपक्षी एकजुटता का जो नारा दिया था, उसपर खुद भी कदम उठाते नजर आ रहे हैं. बिहार के गैर बीजेपी दल पहले ही उनके साथ हैं. 


मोदी के मुकाबले कौन?
जाहिर है ये बात बीजेपी को रास नहीं आ रही. 'मोदी नहीं तो कौन' के भ्रम का हथियार कामयाबी पूर्ण आजमा चुकी बीजेपी यही चाहती है कि मोदी के मुकाबले कोई चेहरा ही खड़ा न होने पाए. नीतीश की मैराथन मीटिंग को लेकर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट भी किया -प्रधानमंत्री पद की कोई वैकेंसी नहीं है और विपक्षी दलों में पहले से ही कई नेता इसके लिए खड़े हैं और अब नीतीश कुमार भी खड़े हो रहे हैं. 


बीजेपी का नीतीश पर हमला
सच तो है कि इस पद के लिए वैकेंसी निकले या न निकले, ये सत्तारूढ़ पार्टी के हाथ में नहीं है. रविशंकर प्रसाद ने सिलसिलेवार तरीके से कई ट्वीट करते हुए नीतीश कुमार और राहुल गांधी की मुलाकात पर लिखा, 'नीतीश जी! राहुल गांधी के साथ आपकी मुस्कुराती तस्वीर टीवी और अखबारों में देखी. सोचा आपको याद दिलाऊं कि आप तो डॉ. राम मनोहर लोहिया के शिष्य हैं जो गैर कांग्रेसवाद के पहले प्रवर्तक थे. आज कहां चले गए आप?' 


कांग्रेस युक्त बीजेपी?
अब ये बीजेपी से कौन पूछे कि आप कांग्रेस मुक्त भारत बनाते-बनाते कांग्रेस युक्त बीजेपी बनते जा रहे हैं. नीतीश ने येचुरी से मुलाकात के बाद कहा कि वो पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं लेकिन अगर वाम दलों, राज्यों में क्षेत्रीय दलों और कांग्रेस समेत सभी दल एक साथ आते हैं, तो यह एक बड़ा राजनीतिक गठन होगा. 


येचुरी ने कहा कि यह सकारात्मक संकेत है, जिससे देश में अच्छा राजनीतिक विकास होगा. और ये सही भी है. बिखरे हुए विपक्ष का चेहरा कौन होगा? ये बात न नीतीश अभी कर सकते हैं और न करनी चाहिए. 


चेहरा घोषित करने से पहले विपक्ष को एकजुट करना होगा. नीतीश के पूर्व सहयोगी और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने इन मुलाकातों पर कहा भी है कि 2025 में बिहार चुनाव से पहले कई बदलाव देखने को मिलेंगे. ये बात सही है कि अभी ये कहना मुश्किल है कि नीतीश की ये मुलाकातें और बातें 2024 में विपक्ष के कितना काम आएंगी, लेकिन एक अर्से बाद एकजुट विपक्ष के लिए खुलकर और खुले दिल से मेहनत हो रही है. और विपक्ष शून्य होते जा रहे देश में नीतीश की कोशिशों के कद्रदान तो कई हैं.