Bihar Politics: बिहार में कौन है `सियासी` बेचारा, जिसके नाम से नीतीश कुमार ने कर लिया किनारा
Nitish Kumar Political Statement: बिहार में जिस तेजस्वी के खिलाफ चुनावी संग्राम में नीतीश खड़े थे और लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे अब महागठबंधन के साथ मिलते ही नीतीश कुमार ने वैचारिक पलटी मार दी है.
पटना : Nitish Kumar Political Statement: बिहार में जिस तेजस्वी के खिलाफ चुनावी संग्राम में नीतीश खड़े थे और लालू परिवार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे अब महागठबंधन के साथ मिलते ही नीतीश कुमार ने वैचारिक पलटी मार दी है. याद होगा कि बिहार की सियासत में नीतीश एक बार पहले भी लालू परिवार और पार्टी राजद के साथ मिलकर सरकार चला चुके हैं. वहीं तेजस्वी के भ्रष्टाचार के मामले सामने आने के बाद नीतीश कुमार ने सरकार छोड़ दिया था और राजद को झटका देते हुए एक बार फिर से भाजपा के साथ जुड़ गए थे.
नीतीश कुमार ने फिर से महागठबंधन के जूते में अपना पांव डाला तो इस बार उनके हाव-भाव थोड़ा बदले नजर आ रहे हैं. नीतीश को याद है कि ललन सिंह और जदयू के नेताओं ने ही 2017 में लालू के इस भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा खोला था. ऐसे में नीतीश इस बार समझदारी से खेल रहे हैं. नीतीश कुमार पहले तो लालू परिवार से सीबीआई की पूछताछ और ED की छापेमारी पर बचते नजर आए. फिर जब पूरा माजरा उनकी समझ में आया तो पहले ललन सिंह लालू परिवार के बचाव में आगे आए और फिर नीतीश कुमार ने कह दिया की 5 साल से यह ड्रामा चल रहा है.
यहां तक तो ठीक था लेकिन नीतीश कुमार ने इसी बीच अपने बयान से किसी को 'सियासी' बेचारा तक बना दिया. बता दें कि नीतीश ने बयान में यह तक कहा कि जब से वे आरजेडी के साथ आए हैं, तब से क्या हो रहा, सभी देख रहे हैं. मतलब साफ था कि नीतीश इस पूरे मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे थे कि उनके महागठबंधन में आने की वजह से यह कार्रवाई हो रही है.
वहीं इस सारे बयान के बीच नीतीश कुमार लगातार मुस्कुराते रहे और किसी को इस मामले में हंगामे के लिए 'सियासी' बेचारा बताते रहे. हालांकि नीतीश कुमार किसको बेचारा कह रहे थे यह तो सभी को समझ में आ रहा थै लेकिन वह खुद बार-बार कह रहे थे कि नाम लेकर क्या करना है. नीतीश यह भी जान रहे थे कि उस 'सियासी' बेचारे का नाम ले लिया तो वह पीछे पड़ जाएंगे. इसलिए नीतीश बोलते रहे कि नाम क्या लें वह ऐसे ही पीछे पड़े रहते हैं.
अब सियासी जानकार साफ समझ गए थे कि नीतीश का इशारा किसकी तरफ था. दरअसल नीतीश कुमार सुशील मोदी पर सीधे इस बयान के जरिए निशाना साध रहे थे. हालांकि नीतीश ने यह भी स्पष्ट कह दिया कि इस मामले पर वह खूब बोल चुके हैं अब रोज थोड़े बोलेंगे. रही बात सुशील मोदी की तो नीतीश की मानें तो उनतको तो रोज बोलना ही न है, सुशील मोदी रोज-रोज नहीं बोलेंग तो कैसे होगा. नीतीश आगे कहते हैं कि वह रोज बोलते रहें, मेरे खिलाफ भी बोलते रहें मुझे इससे कोई मतलब नहीं है.