पटना: क्या आपको पता है बाजार में बिकने वाला आर्टिफिशियल स्वीटनर (कृत्रिम मिठास) आपके हृदय के लिए ठीक नहीं है. अगर आप भी इन आर्टिफिशियल स्वीटनर का इस्तेमाल कर रहे हैं तो सावधान हो जाए नहीं तो स्ट्रोक और दिल के दौरे के रूम में कई बीमारियां आपको हो सकती है. जानकारी के लिए बता दें कि विशेषज्ञों ने विभिन्न अध्ययनों में पाया है कि स्वीटनर से हृदय रोग होता है. उन्होंने चेतावनी दी है कि विभिन्न अध्ययनों से यह साबित हो चुका है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर से हृदय संबंधी बीमारियों की संभावना 9 प्रतिशत तक बढ़ जाती है.


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विशेषज्ञों की मानें तो डायबिटीज या मोटापे से ग्रस्त लोग अक्सर चीनी के विकल्प में आर्टिफिशियल स्वीटनर का उपयोग करते हैं, जिसे नॉन-शुगर स्वीटनर (एनएसएस) भी कहा जाता है. पहले माना जाता था कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा लेटेस्ट दिशानिर्देश जारी होने तक एनएसएस का उपयोग वजन घटाने और ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद कर सकता है.


डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश अब शरीर के वजन को नियंत्रित करने या डायबिटीज, मोटापा और हृदय रोगों जैसी गैर-संचारी बीमारियों के जोखिम को कम करने के लिए नॉन-शुगर स्वीटनर के उपयोग के खिलाफ सलाह देते हैं. फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के निदेशक और प्रमुख डॉ. उद्गीथ धीर ने आईएएनएस को बताया, इसका एक कारण यह हो सकता है कि कुछ आर्टिफिशियल स्वीटनर प्लेटलेट एकत्रीकरण जैसे कुछ थक्का जमाने वाले एजेंटों की प्रवृत्ति को बढ़ा देते हैं, जिससे थक्का बनना शुरू हो जाता है और दिल का दौरा या स्ट्रोक पड़ जाता है.


दूसरा कारण यह हो सकता है कि आर्टिफिशियल स्वीटनर आंत में कुछ सूजन पैदा करते हैं, जिससे वाहिका की वॉल प्रभावित होती है. जो मरीज पहले से ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हैं, उन्हें पहले से ही हृदय रोग होने का खतरा है, जो और भी बढ़ जाता है. यह आर्टिफिशियल स्वीटनर आग में घी डालने का काम करता है.


डॉक्टर धीर ने सलाह दी कि आर्टिफिशियल स्वीटनर को अधिक स्वास्थ्यप्रद विकल्पों के बजाय चुटकी भर मसाले के साथ लेना चाहिए. आपके ब्लड शुगर को कम करने के लिए आर्टिफिशियल स्वीटनर कोई समाधान नहीं है. उन्होंने कहा कि एस्पार्टेम जैसे कुछ आर्टिफिशियल स्वीटनर स्ट्रोक के जोखिम से अधिक जुड़े हुए हैं. आर्टिफिशियल स्वीटनर को सीवीडी जोखिम में बढ़ोतरी के साथ जुड़ा हुआ दिखाया गया है.


जानकारी के लिए बता दें कि वास्तव में एनएसएस के दीर्घकालिक उपयोग से संभावित अवांछनीय प्रभाव हो सकते हैं, जैसे टाइप 2 डायबिटिज, हृदय रोग और युवाओं में मृत्यु दर का खतरा बढ़ जाना. विशेषज्ञों का मानना है कि नॉन-शुगर स्वीटनर पर हमारे अपने देश के दिशानिर्देशों की जरूरत है, खासकर जब भारत में उनकी खपत बढ़ रही है.


डिस्क्लेमरः इस खबर को आईएएनएस की माध्यम से बनाया गया है.


इनपुट- आईएएनएस


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