पटनाः Padma Ekadashi 2022: एकादशी की तिथि भगवान विष्णु का खास तौर पर प्रिय होती है. भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पद्मा एकादशी मनाई जाती है. इस दिन वामन भगवान की पूजा भी होती है. वामन देव, भगवान विष्णु के अवतार थे, जिन्होंने राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा और सारी सृष्टि और तीनों लोक नाप लिया. इस एकादशी पर श्री हरि शयन करते हुए करवट लेते हैं इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहा जाता है. यह देवी लक्ष्मी का परमप्रिय व्रत है इसलिए इस दिन लक्ष्मी पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है.


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बन रहे हैं चार शुभ योग
सनातन परंपरा में पद्मा एकादशी का विशेष महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है. पद्मा एकादशी के दिन उपवास रखने व अगले दिन भोजन से भरा घड़ा ब्राह्मण को दान करने से हर मनोकामना पूरी होती है और व्यक्ति सभी पाप कर्मों से मुक्त होता है. ज्योतिष के मुताबिक, पद्मा एकादशी के दिन बेहद शुभ व खास सहयोग बन रहे हैं. इस दिन चार खास योग - आयुष्मान, रवि, त्रिपुष्कर सौभाग्य योग बन रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष कृपा बनी रहती हैं.


पद्या एकादशी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 06 सितंबर दिन मंगलवार को सुबह 05 बजकर 54 मिनट पर होगा. पद्मा एकादशी की समाप्ति अगले दिन यानि बुधवार 07 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 04 मिनट पर होगी. वहीं व्रत का पारण अगले दिन 7 सितंबर को सुबह 08 .19 - सुबह 08. 33 बजे होगा.


ऐसे करें व्रत पूजा
दशमी तिथि पर सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करें. व्रत वाले दिन प्रात:काल उठकर भगवान का ध्यान करें और स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष घी का दीप जलाएं. भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी, ऋतु फल और तिल का उपयोग करें. व्रत के बाद तांबा, चावल और दही का दान करें. एकादशी के अगले दिन द्वादशी को सूर्योदय के बाद पारण करें और जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन व दक्षिणा देकर व्रत खोलें.


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