Barh News: बिहार के पटना में स्थित बाढ़ अनुमंडल के एक छोटे से प्लेग्राउंड में सामान्य घरों की लड़कियां रग्बी में आसमान की बुलंदियों को छू रही हैं. सुबह 4:00 बजते ही प्लेग्राउंड में लड़कियों की टोली प्रैक्टिस के लिए जमा हो जाती है. प्लेग्राउंड में लड़कियों को प्रैक्टिस करते देख अब कई पेरेंट्स भी अपनी लड़कियों के साथ मैदान में पहुंचने लगे हैं. अंडर-14 और अंडर-18 बालिका वर्ग में अब छोटे-छोटे कस्बों से निकलकर कई लड़कियां रग्बी में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रही हैं. सलोनी अंडर-18 बालिका वर्ग में 28 सितंबर को मलेशिया में हुए एशियाई रग्बी चैंपियनशिप में भारतीय टीम की उप कप्तान रह चुकी हैं. उनके साथ प्लेग्राउंड में रोज प्रैक्टिस करती आरती भी अंतरराष्ट्रीय प्लेयर हैं. अब दोनों अगले महीने देहरादून में रग्बी के नेशनल कैंप की तैयारी में जुटी है, जहां से एक बार फिर उन्हें अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने का मौका मिलेगा. 


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सलोनी के पिता धर्मेंद्र यादव किसान हैं. उनकी आमदनी बस इतनी है कि घर का खर्चा किसी तरह चल पाता है, लेकिन जब सलोनी ने रग्बी में रुचि दिखाई, तब पिता ने अपनी गरीबी को कभी आड़े नहीं आने दिया. लाख मुसीबत के बाद भी सुहानी का परिवार उनके पीछे ढाल की तरह खड़ा रहा. इसी हौसले ने उसे रग्बी का अंतर्राष्ट्रीय प्लेयर तो बनाया ही साथ ही अंडर-18 बालिका वर्ग में उप कप्तान बनकर टीम का नेतृत्व भी किया. सलोनी के पिता धर्मेंद्र यादव बताते हैं कि हम लोगों से उधार लेकर भी बच्ची की छोटी-छोटी जरूरत को पूरा करते थे. बस एक ही सपना था कि बच्ची रग्बी के खेल में आगे बढ़े और देश का नाम रोशन करें. 


कई लड़कियों ने रग्बी में बनाई पहचान 
अंतरराष्ट्रीय रग्बी प्लेयर आरती की कहानी भी इससे जुदा नहीं है. आरती के पिता राकेश मंडल बिजली मिस्त्री का काम करते हैं. गरीब घरों की इन लड़कियों का परिवार उनकी हर जरूरत को पूरा करता है. इन सभी का एक ही सपना है कि रग्बी के क्षेत्र में लड़कियां अपनी पहचान बनाएं. रग्बी में सलोनी और आरती जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्लेयर को देख अब बाढ़ की कई लड़कियां खेल मैदान में जुटने लगे हैं. इनमें से कई लड़कियां अब रग्बी में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुकी हैं. 


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जल जमाव के बाद भी लड़कियां करती हैं प्रैक्टिस 
वहीं, बाढ़ से तीन लड़कों ने भी मलेशिया में आयोजित अंडर-18 एशियाई रग्बी चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था. गोल्डन कुमार अंडर-18 बालक वर्ग में उप कप्तान भी रह चुके हैं. बाढ़ में रग्बी प्लेयर्स को एक और मुसीबत का सामना करना पड़ता है. बारिश में प्लेग्राउंड में पानी भर जाता है. इसके बावजूद लड़कियों का हौसला कम नहीं होता. जल जमाव होने पर भी लड़कियों का प्रैक्टिस चलता रहता है. गरीबी की आग में तपकर निकली इन लड़कियों पर मौसम की बेरुखी भी बेअसर साबित होती है.


इनपुट - चंदन राय 


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