पटनाः Caste Census in Bihar: बिहार में जातिगत जनगणना का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है.  राज्य में हो रही जातीय जनगणना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि 'जनगणना अधिनियम के तहत राज्य सरकार को जनगणना का अधिकार ही नहीं है.अब इस मामले में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव का बयान आया है. तेजस्वी ने कहा है कि 'ये जाति आधारित सर्वे है. भारत सरकार जनगणना करा सकती है बल्कि राज्य सरकार नहीं करा सकती है. जाति आधारित सर्वे से बहुत लाभ होना है. इसमें लोगों की आर्थिक स्थिति क्या होगी? उसकी भी गणना होगी. लोगों की स्थिति क्या है? इसके लिए ये बहुत जरूरी है.'


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नालंदा निवासी ने लगाई है याचिका
बिहार सरकार के खिलाफ यह याचिका नालंदा के रहने वाले अखिलेश कुमार ने लगाई है, इसमें साफ कहा गया है कि जब बिहार विधानसभा से यह विधेयक पारित ही नहीं कराया गया है तो फिर केवल सर्वदलीय बैठक के आधार पर जारी 6 जून 2022 की अधिसूचना कानूनी तौर पर मान्य ही नहीं है. जबकि इसी के आधार पर यह जनगणना कराई जा रही है. 


कल्याणकारी योजना बनाने के लिए जरूरीः तेजस्वी
दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव ने कहा कि 'भारत में कई राज्यों ने पहले ही जाति आधारित सर्वे कराया है. तेजस्वी ने कहा कि इससे संबंधित डेटा होना चाहिए, जिससे लोगों के लिए कल्याणकारी योजना बनाई जा सके. इससे पता चलेगा कि कौन गरीब है. इसमें कुछ गलत नहीं है. वहीं, इसको लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर जाति आधारित सर्वे गलत है तो हिंदू, मूस्लिम और दलित की भी गणना कराई जाती है और जानवर की गिनती भी नहीं होती है फिर ये भी गलत है.'