Janmashtami 2024: भगवान श्री कृष्ण से सीखें रिश्ते निभाने की अद्भुत कला, इनके आगे हर कोई फेल
Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. इस साल 26 जनवरी के दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी. भगवान श्रीकृष्ण ने दुनिया को दोस्ती, प्रेम, ईमानदारी, सम्मान सब करना सिखाया है.
जन्माष्टमी
Janmashtami 2024: हिंदू धर्म में जन्माष्टमी (Janmashtami) के त्योहार का बेहद खास महत्व है. देश में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. इस साल जन्माष्टमी का पर्व 26 जनवरी दिन सोमवार को मनाया जाएगा. भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु के 8वें अवतार माना जाता है. उन्होंने इस अवतार के हर क्षण से कुछ न कुछ सिखाया है.
श्री कृष्ण
श्री कृष्ण ने दुनिया को प्यार का मतलब समझाया और किसी भी बंधन में सरलता से बंधने की कला सिखाई है. उन्होंने हर रिश्तें को ईमानदारी से निभाना सिखाया है. प्रेमी हो या दोस्त हर रिश्तें को उन्हें बखूबी से निभाया है. आइए श्रीकृष्ण से सीखत है रिश्ते निभाना
प्रेम का रिश्ता
भगवान श्री कृष्ण के चाहने वाले बहुत लोग थे. लेकिन उन्हें प्रेम राधा से था. कहने को कृष्ण की दीवानी न केवल राधा बल्कि कई गोपियां भी थी. लेकिन अंत में कृष्ण जी के साथ नाम केवल राधा का ही जुड़ा है. भगवान श्री कृष्ण सभी को सम्मान देते थे और उनके प्रेम का सम्मान करते थे. उन्होंने किसी को ठेस नहीं पहुंचाई. आजकल के प्रेमी-प्रेमिका को श्रीकृष्ण से प्रेम करना सीखना चाहिए.
दोस्ती
दोस्ती का उदाहरण हमेशा भगवान श्री कृष्ण और सुदामा का दिया जाता है. सुदामा और कृष्ण की दोस्ती में अमीरी गरीबी से ऊपर उनका रिश्ता था. जैसा कि बताया जाता है कि सुदामा और कृष्ण बचपन के दोस्त थे. श्री कृष्ण ने कभी भी सुदामा से दोस्ती में भेदभाव नहीं किया. हमेशा सुदामा का साथ दिया चाहे वो किसी भी परेशानी में हों. आज के लोगों को दोस्ती निभाना भगवान श्री कृष्ण से सीखना चाहिए.
माता-पिता का सम्मान
भगवान श्रीकृष्ण ने हमेशा माता यशोदा और पिता नंद का सम्मान किया है. हालांकि श्रीकृष्ण को जन्म देवकी और वासुदेव ने दिया है, लेकिन पालन-पोषण यशोदा और नंद ने किया था. भगवान कृष्ण ने दोनों माता-पिता की सेवा की थी और दुनिया को माता-पिता का सम्मान करना सिखाया था.
गुरु का सम्मान करना
भगवान श्रीकृष्ण ने हमेशा गुरुओं का सम्मान करना सिखाया है. कृष्ण जिन भी संतों और गुरुओं से मिले थे सबका सम्मान किया. उन्होंने हमेशा दुनिया को यहीं सिखाया है कि चाहे आप कितने भी बड़े पद पर चले जाए लेकिन गुरु का सम्मान करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए.