Rahat Indori Shayari: जाने-माने शायर और हिंदी फिल्मों के गीतकार राहत इंदौरी का जन्म 1 जनवरी 1950 को इंदौर के छोटे से घर में हुआ. राहत इंदौरी के माता-पिता को ऐसा बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनके घर एक ऐसे शख्स ने जन्म लिया है जिसे आगे चल कर पूरा हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि दुनिया उनकी अव्वल शायरी के वजह से जानेगी. राहत इंदौरी ने अपनी अव्वल शायरी से लोगों के दिलों पर राज किया है और आगे भी करते रहेंगे. आज उनकी बर्थ एनिवर्सरी है. इस खास मौके पर आज हम आपको इस लेख में उनके द्वारा लिखे गए अव्वल शेरों को बताने जा रहे है. राहत इंदौरी एक ऐसे शायर है जिनका हर एक शब्द मोहब्बत की नई शुरुआत करता है. यदि हम कहें कि गजल इशारों की कला है तो वो वो कलाकार राहत इंदौरी हैं. उनके कहे कुछ शेर यहां पढ़ें - 


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1. न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा,
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा 


2. घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है. 


3. मैं मर जाऊँ तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना
लहू से मेरी पेशानी पर हिंदुस्तान लिख देना


4. मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए


5. बुलाती है मगर जाने का नहीं,
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं,
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर,
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं।   


6. बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।


7. कहीं अकेले में मिलकर झंझोड़ दूंगा उसे
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का
इरादा मैंने किया था कि छोड़ दूँगा उसे।


8. ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था,
मैं बच भी जाता तो एक रोज मरने वाला था,
मेरा नसीब, मेरे हाथ कट गए वरना,
मैं तेरी मांग में सिन्दूर भरने वाला था। 


9. ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो 


10. एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो. 


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