पटना : शिक्षा डॉ चन्द्रशेखर द्वारा रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान का मामला तूल पकड़ने लगा है. जिसको लेकर सुपौल शहर समेत विभिन्न इलाकों में पुतला दहन और रामायण पाठ बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने किया. वहीं दूसरी तरफ सुपौल जिला व्यवहार न्यायालय के सीजेएम कोर्ट में बुधवार को भाजपा के जिला महामंत्री सुरेश सुमन यादव ने परिवाद पत्र दाखिल किया है।. जिसमें भाजपा जिलाध्यक्ष राम कुमार राय, जिला प्रवक्ता सुमन कुमार चंद, जिला मंत्री सुमन कुमार, जिला उपाध्यक्ष मनोज कुमार पाठक एवं नगर अध्यक्ष महेश देव गवाह बने हैं. इससे पहले भी कई जिलों में परिवाद दायर हो चुकी है.


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कोर्ट में दिए परिवाद पत्र में भाजपा जिला महामंत्री सुरेश सुमन यादव ने कहा है कि जिसमें कहा गया है कि सूबे के शिक्षा मंत्री ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए हिन्दु समाज को लक्ष्य करके बदनाम करने एवं विभाजित करने की साजिश के तहत सोच-समझकर और जानबूझकर अपने राजनीतिक फायदे के लिए दिया गया बयान है. ताकि धर्म और जातीय आधार पर आपसी द्वेष और उन्माद फैल जाए. भारत 130 करोड़ की आबादी वाला देश है. जहां सभी धर्म-संप्रदाय और जाति के लोग शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं. इस देश में हिन्दुओं की बहुसंख्यक आबादी है, लेकिन सभी धर्मों में आपसी सद्भाव है. भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं के भगवान राम और उनके जीवन चरित्र का विवरण देने वाली पुस्तक रामायण और राम चरितमानस में असीम आस्था है. ईश्वर की आस्था पर किसी व्यक्ति, समाज या समुदाय को टिका-टिप्पणी करने से समाज में धार्मिक विद्वेष फैलता है, लेकिन हमरे देश में कुछ लोग दूसरे लोगों के धर्म, उनके इश्वर और देवी-देवताओं के खिलाफ कभी-कभी जानबूझकर व्यक्तिगत लाभ के लिए टिका-टिप्पणी करके दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ना केवल आहत करते हैं, बल्कि धार्मिक उन्माद फैलाते हैं.


बिहार के शिक्षा मंत्री सह राष्ट्रीय जनता दल के सक्रिय सदस्य डॉ.चन्द्रशेखर द्वारा मंच से कही गई कोई भी बात समाज के युवाओं और छात्रों पर काफी प्रभाव डालती है. इन पदों पर बैठे लोगों के गलत बयान का समाज पर बुरा असर होता है. बीते 11 जनवरी को नालंदा ओपन युनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के बाद शिक्षा मंत्री डॉ चन्द्रशेखर ने सार्वजनिक रूप से बयान दिया कि हिन्दु धर्म के भगवान श्रीराम का ग्रंथ राम चरित मानस समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. इससे समाज में विसंगतियां पैदा होती है. उन्होंने बोला कि राम चरित मानस समाज को तोड़ने वाला ग्रंथ है. राम चरित मानस को मनुस्मृति की जला देना चाहिए. दुनिया के लोगों सुनों मैं आपके माध्यम से कहना चाहता हुं कि इस ग्रंथ में कहा गया है कि नीच जाति के लोगों को शिक्षा ग्रहण करने का कोई अधिकार नहीं था और उसमें कहा गया है कि नीच जाति के लोग शिक्षा ग्रहण करके जहरीला हो जाता है. जैसा की सांप दूध पीने के बाद होता है.


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