पश्चिम चंपारण: पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि बाघ अभयारण्य (वीटीआर) में एक बार फिर से गैंडों को बसाने की तैयारी की जा रही है. ऐसे में बिहार के लोगों को एक बार फिर से गैंडों के समूह को देखने का मौका मिलेगा. राज्य का एकमात्र गैंडा यही रहता है. जानकारी के अनुसार वीटीआर को राष्ट्रीय गैंडा संरक्षण रणनीति के तहत संभावित स्थलों में से एक के रूप में चुना गया है. 


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असम से लाए जा सकते हैं गैंडा


राष्ट्रीय गैंडा संरक्षण रणनीति के तहत अगले साल यहां गैंडों को असम से लाया जा सकता है. करीब दो साल पहले वीटीआर में पर्यावास और सुरक्षा स्थितियों को देखने के बाद ये फैसला किया गया है. इसके लिए एक कमिटी का भी निर्माण किया गया था.


मुख्य वन्यजीव वार्डन पी के गुप्ता ने कही ये बात


बिहार के मुख्य वन्यजीव वार्डन पी के गुप्ता ने इसको लेकर कहा कि शुक्रवार को हुई अपनी बैठक में समिति ने अपनी मसौदा रिपोर्ट पर चर्चा की है. जिसके बाद अगले साल जनवरी के अंत तक समिति राज्य सरकार को एक रिपोर्ट देगी. इस रिपोर्ट में गैंडों की योजना को फिर से शुरू करने की प्रक्रिया की बात कही जाएगी. 


इसके अलावा उन्होंने कहा कि गनौली और मदनपुर को वीटीआर में पुन: बसाने योजना के लिए संभावित रूप से पहचाना गया है. यहां पर अभी हमारे पास सिर्फ एक ही एक गैंडा है, हालांकि पटना  पटना चिड़ियाघर में भी 13 गैंडे हैं. इस परियोजना के शुरू होने के बाद वीटीआर में गैंडों की संख्या में वृद्धि होगी. ऐसा उत्तर प्रदेश में दुधवा बाघ अभयारण्य में हो चुका है. बता दें कि दुनिया में एक सींग वाले गैंडों की आबादी का लगभग 75 प्रतिशत भारत में है.