पटनाः Somwar Skand Shashthi Vrat: आज सोमवार है. भगवान शिव का आराध्य दिन है. इस जगत में शिव ही सत्य है. भगवान शिव हर रूप में विद्यमान हैं. हम सभी भगवान शिव के प्रतीक के रूप में शिवलिंग की पूजा अर्चना करते है. आज भगवान को एक लोटा जल जरूर अर्पित करें. भगवान शिव बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता है. इसलिए अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए भगवान शिव को जल से साथ बेल पत्र और कच्चा चावल जरूर अर्पित करें. चन्द्रमा - माता भूमि सुख मन पानी, दूध और तरल पदार्थो का कारक है. अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा में दोष हो या चन्द्रमा कष्ट दे रहा हो तो, रात को दूध या पानी से भरा बर्तन सिरहाने रखकर सो जाएं और सुबह पीपल के पेड़ में डाल दें.


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गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए
सफेद वस्त्र में घर का एक मुट्ठी पुराना चावल, एक हल्दी का टूकड़ा और सात काली मिर्च को रखकर एक पोटली बना लें. सायंकाल के बाद उस पोटली को किसी मंदिर के हवन कुंड में डाल एक मनोकामना का स्मरण करते हुए डाल दीजिए. 


आज स्कंद षष्ठी व्रत
भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को स्कंद के नाम से जाना जाता है. इसी कारण देवी भगवती का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता कहलाता है. कार्तिकेय देव सेनापति हैं और उन्होंने बाल्य अवस्था में ही तारकासुर का वध किया था. स्कंद सभी संतानों के स्वरूप हैं और माताएं स्कंद षष्ठी के दिन अपनी संतानों की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. स्कंद षष्ठी, चतुर्थी और एकादशी की ही तरह हर महीने आती है. इसका मासिक अनुष्ठान दक्षिण भारत में अधिक प्रचलित है. उत्तर के इलाकों में कार्तिक और अगहन की षष्ठी काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है. असल में जन्म लेते ही माता पार्वती के पुत्र स्कंद का उनसे बिछड़ना हो गया था. वह गंगा में बहते हुए देवलोक की कृत्तिकाओं को मिले थे. कृत्तिकाओं ने ही उनका लालन-पालन किया और इस तरह वह कार्तिकेय कहलाए. जब तक भगवान स्कंद माता-पार्वती को मिल नहीं गए उन्होंने नियमित भोजन का त्याग कर दिया था. इसके बाद से संतान की रक्षा के लिए  इस व्रत की शुरुआत हो गई.


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