Patna: बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन आदेश जारी करने से उच्चतम न्यायालय के इनकार करने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इसे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार को झटका बताया. साथ ही, इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग भी की. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

JDU ने साधा निशाना


सत्तारूढ़ जनता दल (यूनाइटेड) ने कहा कि भाजपा इस मुद्दे का राजनीतिकरण करना चाहती है क्योंकि जाति आधारित सर्वेक्षण कराने का निर्णय एक सर्वदलीय बैठक आयोजित करने और राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पारित करने के बाद लिया गया था. गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को पटना उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि उसे जांच करनी होगी कि राज्य सरकार सर्वेक्षण की आड़ में क्या जनगणना कर रही है. फिलहाल, बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण निलंबित रहेगा. 


बीजेपी ने लगाए आरोप



भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा, "यह नीतीश कुमार सरकार के लिए एक नया झटका है. महागठबंधन सरकार ने पहले ही इस मामले को जटिल बना दिया क्योंकि उसने पटना उच्च न्यायालय में अपना पक्ष ठीक से पेश नहीं किया, जिसके कारण इस पर रोक लगा दी गई.’


उन्होंने कहा कि यदि हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को सुनवाई नहीं की, तो सुप्रीम कोर्ट 13 जुलाई को इस पर सुनवाई कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलायी जानी चाहिए.मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना पर हाईकोर्ट में कमजोर पैरवी कर सरकार ने इसे पहले ही उलझा दिया, जिससे इस सर्वे पर अंतरिम रोक लगी. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने का निर्णय एनडीए सरकार ने पिछले साल जून में किया था. उन्होंने पूछा कि इस पर मकानों की गिनती के साथ काम शुरू करने में सात महीने की देर क्यों हुई?


 


मोदी ने कहा कि सरकार को तुरंत सर्वदलीय बैठक बुलाकर सबको विश्वास में लेना चाहिए और बताना चाहिए कि क्या प्रश्नावली बनी है, क्या तैयारी है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़े तो विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर जातीय जनगणना के लिए कानून बनाना चाहिए.


मोदी ने कहा कि जातीय जनगणना का अकेले श्रेय लेने की मंशा से मुख्यमंत्री ने विपक्ष से संवाद स्थापित नहीं किया और न सर्वदलीय बैठक बुलायी. उन्होंने कहा कि जातीय जनगणना कराने का निर्णय भाजपा के सरकार में रहते हुआ था और इसके लिए विधान मंडल में दो बार प्रस्ताव पारित होने से लेकर प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में सम्मिलित रहने तक, हर स्तर पर पार्टी समर्थन में खड़ी रही. मोदी ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में अतिपिछड़ों को आरक्षण देने के मामले में भी न्यायालय में सरकार की किरकिरी हुई थी और चुनाव टालने पड़े थे.


(इनपुट भाषा के साथ)