सुशील मोदी ने जहरीली शराबकांड के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए उठाई सर्वदलीय बैठक की मांग, नीतीश सरकार की मंशा पर उठाए सवाल
मशरख जहरीली शराबकांड पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने CM नीतीश कुमार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि पीड़ितों को मुआवजा देने पर सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए.
Patna: मशरख जहरीली शराबकांड पर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने CM नीतीश कुमार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि पीड़ितों को मुआवजा देने पर सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि मशरख में मरने वाले 77 लोगों में 57 अनुसूचित और पिछड़ी जातियों के थे.
सर्वदलीय बैठक बुलाने की उठाई मांग
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट करके कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मशरख जहरीली शराबकांड के पीड़ितों को मुआवजा देने पर सहमति बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए. उन्होंने कहा कि पिछले साल दिसम्बर की दुखद घटना पर मुख्यमंत्री ने " जो पियेगा, सो मरेगा" वाला कड़ा बयान देकर पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने से इनकार किया था, लेकिन बाद में विपक्ष के दबाव में उन्होंने इस मुद्दे पर सहमति बनाने घोषणा की थी.
मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में भी मुआवजा देने की सिफारिश
राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मशरख जहरीली शराब कांड पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में भी पीड़ितों को उत्पाद कानून की धारा - 42 के तहत मुआवजा देने की सिफारिश की गई है. सुशील मोदी ने कहा कि 2016 में गोपालगंज के खजूरबन्ना में जहरीली शराब पीने से मरे 30 लोगों के आश्रितों को 4-4 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया था, जबकि मशरख की घटना में पीड़ितों को इससे वंचित रखा गया.
सरकार पर उठाए सवाल
उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार मशरख में 77 लोगों की मौत हुई थी, जबकि सरकार ने सिर्फ 42 लोगों के मरने की जानकारी दी. सुशील मोदी ने कहा कि जहरीली शराब से मौत की घटनाओं और मदिरा की होम डेलीवरी ने शराबबंदी को विफल साबित कर दिया. नीतीश कुमार इस विफलता को स्वीकार करने के बजाय पीड़ितों को दंडित करने का रुख अपना रहे हैं.
उन्होंने आयोग की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि जहरीली शराब पीने से मरने वाले 77 लोगों में 57 अनुसूचित और पिछड़ी जातियों के थे. सात लोगों की नेत्र ज्योति चली गई. सुशील मोदी ने कहा कि मशरख की घटना के बाद स्थानीय प्रशासन ने मामले को दबाने के लिए मृतकों की संख्या कम बताने के लिए लोगों पर दबाव डाला, पोस्टमार्टम नहीं कराये और मौत का कारण " अज्ञात बीमारी " बता कर शराब माफिया के प्रति नरमी दिखायी. मशरख कांड पर मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट नीतीश सरकार को आईना दिखाती है.