पटना : बिहार में प्रशासनिक सेवा के कई पदों पर अधिकारी हैं ही नहीं, हालात ये हैं कि एक-एक अधिकारियों के पास कई विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. ऐसे में प्रदेश का विकास कैसे होगा? बता दें कि राज्य के पास 359 IAS अधिकारियों के पद को मंजूरी है लेकिन यहां 71 के लगभग पद खाली हैं. जिन पदों को बाहरी कैडर के अधिकारी संभाल रहे हैं. 


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बिहार में मात्र 288 अधिकारियों के बल पर राज्य सरकार का काम काज चल रहा है. इन अधिकारियों में से भी 33 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. बिहार में सर्वोच्च पदों पर तैनात अधिकारी जैसे मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर के 12 अधिकारियों में से 7 के पास एक और 5 के पास दो से अधिक विभाग है. 


हालांकि यह कमी केवल बिहार में ही नहीं है. देश में कुल स्वीकृत पदों से कम IAS अधिकारी सेवारत हैं. यहां 5317 अधिकारी सेवा दे रहे हैं जबकि कुल स्वीकृत पद 6746 है. केंद्र सरकार से भी लगातार बिहार में IAS अधिकारियों का कोटा निर्धारित करने की मांग की जाती रही है. वहीं बिहार में प्रमोशन वाले कई पद भी खाली हैं. इससे भी अधिकारियों की कमी का साफ पता चल जाता है. 


बिहार में 30 प्रतिशत अधिकारियों की कम संख्या पर पूरा विभाग चल रहा है, अधिकारियों की कमी की वजह से और एक-एक अधिकारी के पास कई-कई विभागों की जिम्मेदारी होने की वजह से प्रदेश में विकास के काम में तो रूकावट आती ही है. प्रशासनिक काम भी सुचारू तरीके से हो पाना संभसव नहीं होता है. इसकी वजह से कई कामों में लगातार देरी होती रहती है. इस विभागीय कमी को पूरा करने के लिए बिहार सरकार की तरफ से केंद्र से गुहार भी लगाई गई है. UPSC 2021 के आधार पर बिहार ने भी केंद्र से अधिकारियों की डिमांड की है और 54 IAS अधिकारियों की सेवा बिहार के हिस्से में आवंटित यथाशीघ्र करने का अनुरोध किया है.  


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