पटना: IRCTC Scam: बिहार के डिप्टी तेजस्वी यादव के खिलाफ IRCTC घोटाला केस में सीबीआई को झटका लगा है. सीबीआई चाहती थी कि अदालत तेजस्वी की जमानत रद्द कर दें. लेकिन सीबीआई कोर्ट ने ऐसा करने से मना कर दिया. इस सुनवाई के बाद एक बात कही जा रही है कि तेजस्वी को कोर्ट ने फटकार लगाई? तो फिर सवाल उठता है कि आखिर मंगलवार को कोर्ट में किसका पलड़ा भारी रहा? सीबीआई का या फिर तेजस्वी का? 


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क्या है पूरा मामला?
सीबीआई का आरोप है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे तो IRCTC के रांची और पुरी स्थिति दो होटलों को लीज पर एक निजी कंपनी को दिया गया था. आरोप है कि इसके एवज में लालू परिवार को पटना में तीन एकड़ कीमत जमीन मिली. पहले ये जमीन डिलाइट नाम की कंपनी को मिली फिर कथित तौर पर राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के मालिकाना हक वाली कंपनी लारा प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेट को बेच दी गई. 


अदालत में क्या हुआ?
अब आते हैं कि मंगलवार को कोर्ट में क्या हुआ. सीबीआई ने तेजस्वी की प्रेस कांफ्रेंस में दिए बयान को पढ़ा और कहा कि सीबीआई को धमकी दी गई, ताकि जांच को प्रभावित किया जा सके. सीबीआई ने कहा कि तेजस्वी सीबीआई पर झूठा आरोप लगा रहे हैं कि एजेंसी किसी के निर्देश पर काम कर रही है.  तेजस्वी ने एजेंसी की छवि खराब करने की कोशिश की.


क्या डिप्टी सीएम रहते हुए ऐसे बयान देने चाहिए?
इस पर तेजस्वी यादव से जज ने पूछा कि क्या डिप्टी सीएम रहते हुए ऐसे बयान देने चाहिए? कोर्ट ने कहा कि हम बेल कैंसिल नहीं कर रहे हैं, इसका कोई आधार नहीं है. हालांकि इसी के साथ जज ने आगाह किया कि आप आगे से ऐसे बयान नहीं देंगे. साथ ही कोर्ट ने सही शब्दों के चयन की नसीहत भी दी. लेकिन इसके अलावा और भी बहुत कुछ कोर्ट में हुआ.


'ये धमकी नहीं थी'
सीबीआई ने कहा कि इस केस से जुड़े जांच अधिकारी पर दो बार हमला हुआ. हालांकि सीबीआई ने अपनी बात में यह भी जोड़ा कि इसपर हमारे पास कोई सबूत नहीं है. न ही हम इस केस में इसको शामिल कर रहे हैं. तेजस्वी के वकील ने कोर्ट से सीबीआई के अर्जी को जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि ये धमकी नहीं थी. सीबीआई का आरोप गलत है.


CBI ने क्यों नहीं दर्ज कराई एफआईआर
तेजस्वी ने ये भी कहा कि अगर आपको लगता कि मैने सीबीआई के अधिकारियों को धमकाया है तो आईपीसी की धारा 506 की तहत एफआईआर क्यों नहीं दर्ज करते हैं?


सीबीआई रेड में साजिश!
तेजस्वी ने अदालत को ये भी याद दिलाया कि 24 अगस्त को जिस दिन बिहार में नई सरकार को बहुमत साबित करना था, उसी दिन सीबीआई ने रेड करती है. सीबीआई के अधिकारी राबड़ी निवास जाते हैं. लोगों की भीड़ जुटती है, सीबीआई की टीम को रोकती है. मेरी मां और भाई बाहर आते हैं भीड़ को समझाते हैं  कि सीबीआई के लोगों को अंदर आने दें लेकिन यहां सीबीआई हम पर आरोप लगा रही है.


'डिप्टी सीएम की इमेज खराब करने की कोशिश'
रेड की गई और ये नैरेटीव बनाया गया कि इन लोगों ने काफी पैसा बनाया है. तेजस्वी यादव के पास गुड़गांव में मॉल है. मैं डिप्टी सीएम हूं लेकिन मेरी इमेज को खराब करने की कोशिश की जा रही है. मैंने प्रेस कांफ्रेंस करके जानकारी दी कि गुड़गांव में बन रहे मॉल से मेरा कोई लेना देना नहीं है. जिस कंपनी का मॉल है वो पीएम मोदी के समय 2021 में बनी. 


'मॉल में तेजस्वी की हिस्सेदारी कैसे'
उन्होंने कहा कि लिस्ट में जो डायरेक्टर हैं वो हरियाणा के हैं. इस मॉल का उद्घाटन करते हुए बीजेपी नेता का वीडियो है. लेकिन एक शब्द बीजेपी के खिलाफ नहीं है. लेकिन सीबीआई नैरेटिव बनाती है कि इस मॉल में तेजस्वी की हिस्सेदारी है.


'आलोचना और धमकी में फर्क'
तेजस्वी यादव ने अदालत को बताया कि वो झूठी जांच और नैरेटिव के खिलाफ बोल रहे थे. तेजस्वी ने पूछा कि क्या वो बोल नहीं सकते? आलोचना करने और धमकी देने में फर्क होता है. मैं मॉल का हिस्सेदार नहीं बल्कि मैं विक्टिम हूं.


राजद ने क्या कहा?
बता दें कि 24 अगस्त को छापे इसी मॉल में हिस्सेदारी को लेकर डाले गए थे. इस केस पर प्रतिक्रिया देते हुए तेजस्वी के भाई तेज प्रताप यादव ने कहा कि इंसाफ की जीत हुई है. तेजस्वी को फटकार के सवाल पर आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि इसे फटकार के तौर पर नहीं लेना चाहिए. अदालत ने बस कहा कि आप शब्दों के चयन का ख्याल रखिए. 


कुल मिलाकर तेजस्वी को फटकार सुर्खियां बनी हैं लेकिन ये तथ्य है कि सीबीआई की अर्जी स्वीकार नहीं हुई. कोर्ट ने साफ कहा कि बेल रद्द करने का कोई आधार नहीं है. तेजस्वी ने कुछ बेहद गंभीर मुद्दे अदालत में उठाए हैं. खासकर 24 अगस्त को रेड की टाइमिंग और नैरेटिव बनाने को लेकर.