पैरालिंपिक में पदक जीतकर भी संतुष्ट नहीं है शरद कुमार, अब IAS की करेंगे तैयारी
टोक्यो पैरालिंपिक (Tokyo Paralympics) में हाई जंप के T64 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर शरद कुमार पूरे देश का गर्व करने का मौका दिया है. आप को जानकर हैरानी होगी कि शरद बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं.
Patna: टोक्यो पैरालिंपिक (Tokyo Paralympics) में हाई जंप के T64 इवेंट में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर शरद कुमार पूरे देश का गर्व करने का मौका दिया है. आप को जानकर हैरानी होगी कि शरद बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले हैं. उनकी स्कूलिंग बिहार में हुई है. इसके बाद वो देहरादून चले गए थे. जिसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया था. बता दें कि शरद कुमार महज दो साल के थे, जब डॉक्टर ने उन्हें गलत इंजेक्शन दे दिया था, जिस वजह से वह पोलियो से ग्रसित हो गए थे.
चोट के बाद भी लिया हिस्सा
पैरालिंपिक में अपने प्रदर्शन को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे पैर में चोट लग गई थी, जिस वजह से मुझे इस बात की उम्मीद बेहद कम थी कि मैं गेम्स में हिस्सा भी ले पाऊंगा, लेकिन भगवान् के आशीर्वाद से मैंने हिस्सा लिया और कांस्य पदक अपने नाम किया.
भाई को देख कर शुरू की हाई जंप
इस खेल की शुरुआत को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बचपन से ही घर में पढ़ने लिखने और खेलकूद का माहौल था. बड़े भाई भी हाई जंप में थे, बचपन से उनके साथ हाई जंप करता था. यहीं से उनकी भी आदत पड़ गई थी. अब इस तरीके से देश के लिए मेडल लाने के बाद खुशी मिल रही है.
सरकार का दिया धन्यवाद
शरद कुमार ने भारत सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरीके से खिलाड़ियों का हौसला बढ़ाते हैं, वह अद्भुत है और उस हौसले की वजह से अब कई खिलाड़ी प्रोफेशनल होकर खेल खेल रहे है और ज्यादा से ज्यादा मेडल लाने की कोशिश कर रहे हैं.
शरद कुमार ने आगे की बातचीत में बताया कि कई बार तो ऐसा लगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने के लिए मिलने के लिए ही मैं खेल रहा हूं क्योंकि उनसे बात करने से शरीर में ऊर्जा आ जाती है.
सरकार कर रही है मदद
शरद कुमार ने बताया कि बिहार सरकार हो या भारत सरकार हो, वो खिलाड़ियों के लिए पर्याप्त सभी व्यवस्था करती है. सबसे पहले जरूरत है कि खिलाड़ी खुद घर से बाहर निकले और पहले वह अपने आप को उस लेवल तक पहुंचाएं, जहां उनको तमाम सुविधा मिलें. फिलहाल हम उतनी मेहनत करने के लिए तैयार नहीं होते हैं और उसके बाद हम सरकार को दोष देने लगते हैं. बिहार के युवाओं से एजुकेशन के क्षेत्र में और स्पोर्ट्स के क्षेत्र में आगे आना चाहिये.
आईएएस अफसर बनने की इच्छा
शरद कुमार ने बताया कि वह जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन में MA कर चुके हैं इसलिए उनका मन है कि जब यूपीएससी का एग्जाम भी दे और आईएएस ऑफिसर बने.