Tulsi Mala: भगवान कृष्ण के प्रिय इस माला के बारे में जानें, धारण करने से पहले जान लें सावधानियां!
हर सनातनी के घर में आपको तुलसी का पौधा मिल जाएगा, जहां लोग रोज इसकी क्यारी में जल चढ़ाते नजर आएंगे और शाम को इसके समीप दीपक भी लगाते होंगे.
Tulsi Mala: हर सनातनी के घर में आपको तुलसी का पौधा मिल जाएगा, जहां लोग रोज इसकी क्यारी में जल चढ़ाते नजर आएंगे और शाम को इसके समीप दीपक भी लगाते होंगे. लेकिन, क्या आपको पता है कि हिंदू धर्म में तुलसी को इतना पवित्र क्यों माना गया है और इस पौधे में किस देवी-देवता का निवास होता है तो आपको बता दें कि तुलसी के पौधे में भगवान श्री हरिनारायण विष्णु और माता लक्ष्मी का वास माना गया है. वहां भगवान श्रीकृष्ण को भी तुलसी का पौधा और इसकी माला बहुत पसंद है. ऐसे में तुलसी की माला को धारण करने और इससे भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और श्री कृष्ण के मंत्रों का जाप करने को सबसे उपयुक्त माना गया है.
वैसे आपको बता दें कि तुलसी का जितना आध्यात्मिक महत्व है उतना ही इसका आयुर्वेदिक महत्व भी है. यह एक एंटीबायोटिक है. दूषित पानी को भी शुद्ध करने की क्षमता तुलसी के दल में होती है. ऐसे में यह भगवान नारायण को बेहद प्रिय है. तुलसी दो प्रकार की पाई जाती है श्यामा तुलसी और रामा तुलसी. श्यामा तुलसी भगवान कृष्ण का स्वरूप है जबकि रामा तुलसी भगवान राम या श्री विष्णु का.
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ऐसे में श्यामा तुलसी की माला जहां आपको मानसिक शांति और ईश्वर के प्रति प्रेम की भावना प्रगाढ़ करती है. साथ ही यह आपके परिवार में आध्यात्म को बढ़ावा देकर आपका भौतिक विकास भी कराती है. वहीं रामा तुलसी की माला आपके अंदर के आत्मविश्वास को बढ़ाती है, आपको सात्विक भावनाओं से जोड़ती है. तुलसी की माला में एक तरह का विद्युतीय ऊर्जा होता है. जो आपको जुकाम, बुखार, सिरदर्द या त्वचा के रोगों से बचाता है. इसको धारण करने से अकाल मृत्यु भी नहीं होती है. यह आपके पाचन शक्ति को बढ़ाता है और वायु के दोष दूर करता है.
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ऐसे में तुलसी की माला को गंगाजल से शुद्ध करके ही धारण करना चाहिए. बुध, शुक्र और गुरु ग्रह कमजोर हों तो इसको धारण करने से फायदा मिलता है. इस माला को धारण कर मांसाहार और शराब जैसे नशे का सेवन वर्जित है. तुलसी की माला धारण करने के बाद इसे शरीर से अलग नहीं करना चाहिए.