पटनाः Chhath Puja Kalavati Devi: महापर्व छठ शुरू हो चुका है. लोक आस्था के इस पर्व की बिहार से लेकर देशभर तक में धूम है और हर ओर छठ की छटा छाई हुई है. इस पर्व को मनाने में पूरा परिवार तो जुटता ही है, साथ ही आस-पड़ोस के सभी लोग इस महापर्व की पूजा में अपना-अपना योगदान देकर सहायता करते हैं. इससे छठ व्रत का पुण्य उन्हें भी मिल जाता है. ऐसी एक जीती-जागती कहानी है बसवरिया की कलावती देवी. उम्र हो चली है, हाथ-पैर में झुर्रियां हैं, पीठ और रीढ़ भी कमजोर हो रही है, लेकिन छठ में आस्था ऐसी है कि आज भी वह छठ माता और इसके व्रतियों की आगे बढ़ कर सेवा करती हैं. 


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मिट्टी का चूल्हा बनाती हैं अम्मा
छठ माता की पूजा-सेवा के लिए उनका ये तरीका भी काफी अनोखा है, जिससे सैकड़ों छठ व्रती लाभ लेते हैं. असल में कलावती देवी महापर्व छठ में पूजा के लिए मिट्टी का चूल्हा बनाती हैं. पहले वह भी छठ व्रत पूरे नियम और श्रद्धा से करती थीं, लेकिन अब वृद्ध हो जाने पर उन्होंने छठ व्रत को बैठा दिया है. इसके बाद उन्होंने माता की पूजा के लिए नया ही तरीका निकाल लिया. असल में बसवरिया की कलावती देवी छठ व्रतियों के लिए निःशुल्क चूल्हा बनाती हैं. 


व्रतियों को भी होती है सहूलियत
उनकी इस सेवा से आसपास के व्रती भी बहुत खुश रहते हैं. उन्हें पूजा के लिए पवित्र चूल्हा मिल जाता है. कलावती देवी बिना कोई शुल्क या मूल्य लिए चूल्हा बनाकर छठ व्रतियों में वितरित करती हैं. आस-पास के छठ व्रतियों का कहना है की जबसे माताजी ने छठ बैठाई है तब से यह व्रतियों के लिए इसी तरह ही सेवा करती हैं.वह खुद भी मिट्टी लाकर चूल्हा बनाती हैं और अगर कोई मिट्टी दे देता है तो उसका भी चूल्हा बना देती हैं. आस पास के लोग भी इनकी बहुत तारीफ करते है क्योंकि आज के दिन व्रती मिट्टी से बने नए चूल्हा पर रसियाव रोटी का प्रसाद बनाते है और फिर बाद में उसी चूल्हे पर ठेकुआ पकाया जाता है