Valentine's Week Special, Pappu Yadav and Ranjita Love Story: वैलेंटाइन वीक यानी मोहब्बत का महीना चल रहा है. आज वैलेंटाइन वीक का पांचवा दिन है जिसे प्रॉमिस डे के रूप मनाया जाता है. फिर जब दुनिया में प्यार की बात की जाती है तो सबसे पहले हीर-रांझा, लैला-मजनू के प्यार की मिसाल दी जाती है. इनकी जैसी न जाने कितनी प्रेम कहानियां दुनिया में सांस लेती हैं और न जाने कितने प्यार करने वाले अमर हो जाते है. वैलेंटाइन वीक में हम स्पेशल लव स्टोरी सीरीज चला रहे है. जिसमें हम आपको किसी स्टार की नहीं बल्कि बिहार के नेताओं की बता रहे है. जब बात इश्क की हो और जन अधिकार पार्टी (JAP) के अध्यक्ष और पूर्व सांसद पप्‍पू यादव (Pappu Yadav) की चर्चा न हो, ऐसा भला कैसे हो सकता है? पप्पू यादव की प्रेम कहानी काफी दिलचस्प है. तो चलिए आज प्रॉमिस डे के मौके पर हम आपको उनकी दिलचस्प प्रेम कहानी के बारे में बताते है...


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पहली नजर में हो गया था प्यार
पप्पू यादव को ऐसा पहली नजर का प्यार हुआ कि उनकी प्रेम कहानी लोगों की जुंबा पर और किताबों में दर्ज हो गई. पप्पू यादव और रंजीता रंजन का प्रेम कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. बता दें कि पप्पू यादव को खिलाड़ी से प्यार हो गया था. उनके लिए इस प्यार को पाना बिल्कुल भी आसान नहीं था. उन्हें अपने प्यार को पाने के लिए कई पापड़ बेलने पड़े थे. ऐसा कहा जाता है कि पप्पू यादव को रंजीता की तस्वीर देखते ही प्यार हो गया था. पप्पू यादव को तस्वीर देख कर रंजीता पर ऐसा फिदा हुए कि रोजाना उनकी एक झलक पाने के लिए टेनिस कोर्ट पहुंच जाते थे. जहां रंजीता टेनिस खेलती थी. 


रंजीता का प्यार पाने में लग गए तीन साल
जानकारी के मुताबिक रंजीता का प्यार पाने  में पप्पू यादव को तीन साल लग गए थे. पहले एक साल तक तो पप्पू यादव रंजीता का साइकिल और बाइक के केवल पीछा किया करते थे. फिर साल 1991 में उन्होंने केवल रंजीता की तस्वीर देखी और तस्वीर पर अपना दिल हार बैठे थे. दरअसल, रंजीता के भाई से पप्पू यादव की अच्छी दोस्ती थी. हालांकि उस वक्त मोहब्बत की राह पर चलना आसान नहीं था और इस बात का अहसास पप्पू यादव को भी बखूबी था. क्योंकि रंजीता सिख धर्म की थी. एक वक्त ऐसा आ गया था जब पप्पू यादव का दिल टूटने की कगार पर आ गया था. लेकिन उस वक्त प्यार का दीवानापन और तेज हो गया. 


रंजीता के परिवार वालों ने शादी से कह दिया था इंकार
कहा जाता है कि पहले तो रंजीता को ये सब पसंद नहीं आता था उन्होंने कई बार पप्पू यादव को मना भी किया. लेकिन पप्पू नहीं माने तो एक बार रंजीता ने उन्हें डांट भी दिया, लेकिन दिल है कि मानता नहीं है. आखिरकार पप्पू ने अपने दिल की बात रंजीता के सामने रख दी औऱ प्यार की इजहार कर दिया. जिसका जवाब देते हुए रंजीता ने कहा कि वे सिख है और पप्पू हिंदू, परिवार वाले शादी नहीं होने देंगे. लेकिन पप्पू यादव ने हार नहीं मानी और उन्होंने पहले अपने घर और फिर रंजीता के घर इस प्रेम कहानी को पहुंचा दिया. पप्पू यादव के माता-पिता को इससे परेशानी नहीं थी, लेकिन रंजीता के माता पिता ग्रंथी थे और इस विवाह के खिलाफ थे. रंजीता के परिवार के वालों ने इस शादी को मंजूरी नहीं दी. जिसके बाद पप्पू भी रंजीता के बहन-बहनोई को मनाने चंडीगढ़ चले गए, लेकिन कोई भी इस शादी के लिए मानने को तैयार नहीं था. 


परेशान होकर की सुसाइड की कोशिश 
पप्पू यादव ने अपनी पुस्तक ‘द्रोहकाल का पथिक’ में अपनी प्रेम कहानी का जिक्र विस्तार से किया है. उन्होंने लिखा है कि कैसे उन्होंने परेशान होकर एक बार नींद की ढेर सारी गोलियां खा ली थी. जिसके बाद उनकी हालत कुछ ज्यादा बिगड़ गई और उन्हें इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया. पप्पू यादव काफी परेशान थी, लेकिन कांग्रेस नेता एसएस अहलूवालिया उम्मीद की किरण बनकर सामने खड़े थे. पप्पू यादव ने उनसे मदद की गुहार लगाई और उनका प्रयास सफल रहा. अंत में प्यार की जीत हुई और रंजीता पप्पू यादव की हो गई. आखिरकार रंजीता के परिवार वाले भी मान ही गए. आखिरकार दोनों की शादी साल 1994 में हो गई. 


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