Vat Savitri Purnima Vrat: सनातन धर्म में आस्था रखने वाले लोगों ने सावित्री और सत्वान की कथा जरूर सुनी होगी, सावित्री ने यमराज से लड़कर अपने पति के प्राण वापस लाया था. ऐसे में स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य को बनाए रखने के लिए वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखती हैं. वैसे आपको बता दें साल में यह व्रत दो बार रखा जाता है एक बार ज्येष्ठ अमावस्या को दूसरी बार यह व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को रखा जाता है. ऐसे में सुहागिन महिलाएं इन दोनों ही दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं. 


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3 जून को ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पड़ रही है ऐसे में इस दिन भी वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. आपको बता दें कि महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में इस तिथि को सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं. जबकि ज्येष्ठ मास की आमावस्या को उत्तर भारत में वट सावित्री का व्रत मनाया जाता है.  ऐसे में इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 से 9 बजे और 12:20 से  2 बजे तक है. 


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इस दिन सुहागिन महिलाएं वट के वृक्ष की पूजा करती हैं. उसे हल्दी, चंदन, कुमकुम लगाती हैं. फल और मिष्ठान का भोग लगाती हैं. साथ ही वट के वृक्ष पर कच्चा सूत भी बांधती हैं. इस बार इस दिन अखंड सौभाग्य के लिए कई योग बन रहे हैं. ऐसे में महिलाओं को इस दिन व्रत का दोगुना फल मिलने वाला है. वट के पेड़ के बारे में मान्यता है कि इसमें त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास है ऐसे में इन तीनों की कृपा मिलने से पति की अकाल मृत्यु टल जाती है. वट के पेड़ पर परिक्रम लगाकर धागा बांधने से पति की आयु तो लंबी होती ही है पुत्र की कामना भी फलित होती है. 


ऐसे में इस दिन सुहागिन महिलाओं को काले या नीले रंग के कपड़े पहनने की मानही है. साथ ही वट की टहनियों को तोड़ने से भी मना किया जाता है. इससे जीवन में समस्या आ सकती है. वैसे भी वट की पूजा सुबह शाम करने से दांपत्य जीवन सुखद होता है. जीवन निरोगी बनता है. साथ ही लोगों को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है.