Keelak Strotam: शारदीय नवरात्रि का त्योहार इस साल 3 अक्टूबर से शुरू होने वाले है. नवरात्रि के दौरान भक्त मां दुर्गा की आराधना करते हैं और उनकी कृपा पाने के लिए नौ दिनों तक व्रत रखते हैं. आचार्य मदन मोहन के अनुसार इस दौरान मां दुर्गा के सप्तशती पाठ का भी विशेष महत्व होता है. सप्तशती के पाठ में कीलक, कवच और अर्गला स्त्रोत का पाठ किया जाता है. आज हम बात करेंगे कीलक स्त्रोत के बारे में और इसके महत्व के बारे में.


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सप्तशती का पाठ करने से सत्, चित्त और आनंद की होती है प्राप्ति
आचार्य मदन मोहन के अनुसार सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति को सत्, चित्त और आनंद की प्राप्ति होती है. यह पाठ साधना के सभी प्रकार पूरे करने का मार्ग है और इसके जरिए सिद्धि भी प्राप्त की जा सकती है. कीलक स्त्रोत का पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. यह स्त्रोत ऐश्वर्य, सौभाग्य, आरोग्य, संपत्ति, शत्रुनाश और परम मोक्ष की प्राप्ति में सहायक होता है. साथ ही कीलक स्त्रोत तंत्र-मंत्र के किसी भी नकारात्मक प्रभाव को समाप्त करने में सहायक होता है. यदि आपके ऊपर कोई वशीकरण, सम्मोहन या मारण जैसे तंत्र-मंत्र का प्रभाव है, तो कीलक स्त्रोत का पाठ करके इनसे छुटकारा पाया जा सकता है. अर्गला स्त्रोत भी इन नकारात्मक प्रभावों को दूर करने के लिए किया जाता है.


इस नवरात्रि कीलक स्त्रोत का करें पाठ
इसके अलावा देवी के मंत्रों का उच्च स्वर में पाठ करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है. इससे न सिर्फ आपकी साधना को शक्ति मिलती है, बल्कि यह आपकी तंत्रिकाओं को भी जाग्रत करता है. कीलक स्त्रोत का पाठ भी जोर से करना चाहिए ताकि इसके ध्वनि की तरंगें आपके आसपास के वातावरण को पवित्र और सकारात्मक बना सकें. साथ ही इस नवरात्रि, यदि आप मां दुर्गा की विशेष कृपा और सुख-समृद्धि चाहते हैं, तो कीलक स्त्रोत का पाठ करें. यह न सिर्फ आपके जीवन में खुशहाली लाएगा, बल्कि आपको नकारात्मक शक्तियों से भी बचाएगा. मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस स्त्रोत का पाठ अवश्य करें और इसके चमत्कारिक परिणाम देखें.


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