पटना: खौफ और दहशत का दूसरा नाम... आतंक का पर्याय... जिसके नाम से हाई कोर्ट के जज मुकदमा सुनने से इनकार कर देते थे और कभी जिसकी उत्तर प्रदेश की सरकार में तूती बोलती थी... वो माफिया डॉन शनिवार की देर शाम मारा गया. कभी गोलियों पर किसी और का नाम लिखने वाला अतीक अहमद आज खुद किसी और की गोली का शिकार हो गया और वो भी यूपी पुलिस की सुरक्षा घेरे में. आज न तो उसकी माफियागीरी काम आई और न ही उसका रसूख और न ही उसकी दहशत. तमाम लोगों की काल बनने वाला आज खुद काल के पंजे से बच नहीं पाया और बेमौत मारा गया वो भी उस दिन, जिस दिन उसके बेटे को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. मारे जाने से पहले जब पत्रकारों ने उससे पूछा कि वह अपने बेटे को मिट्टी भी नहीं दे पाया तो उसने कहा, सुपुर्द-ए-खाक के लिए उसे नहीं ले जाया गया, इसलिए वह नहीं गया. यह उसके अंतिम शब्द थे और इसके बाद उस पर दे दनादन गोलियां बरसने लगीं और वह वहीं ढेर हो गया. 


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अतीक अहमद के बेटे असद अहमद के एनकाउंटर के बाद से ही यूपी की राजनीति गरमा गई थी. अब तो अतीक अहमद और अशरफ को मार दिया गया है तो राजनीति में भी तूफानी तेजी आई है. अतीक अहमद के मारे जाने के तुरंत बाद समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस पर रिएक्शन देते हुए ट्वीट किया, राज्य में अपराध अपने चरम पर पहुंच गया है और अपराधियों का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंच गया है. जब सुरक्षा में घिरे होने के बावजूद किसी की सरेआम हत्या की जा सकती है तो आम जनता की स्थिति की कल्पना की जा सकती है. जनता में डर का माहौल बनाया जा रहा है. ऐसा लगता है कि कुछ लोग जान-बूझकर ऐसा माहौल बना रहे हैं.


बताया जा रहा है कि अतीक अहमद और अशरफ को गोली तब मारी गई, जब दोनों को मेडिकल कराने के लिए पुलिस हॉस्पिटल लेकर गई थी. हॉस्पिटल में दोनों मीडियाकर्मियों से बात करने लगे. इस बीच मीडियाकर्मियों के रूप में मौजूद कुछ हमलावरों ने दोनों को गोलियों से भून दिया. अतीक अहमद के वकील का कहना है कि दोनों को 10 गोलियां दागी गई हैं. अतीक अहमद और अशरफ को मारे जाने का फुटेज मीडियाकर्मियों के कैमरे में कैद हो गया है.


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