Patna: कोरोना महामारी के इस दौर में छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के थप्पड़ मार DM रणवीर शर्मा का वीडियो तो आपने देखा ही होगा. भले ही एक युवा को थप्पड़ मारने का वीडियो वायरल होने के बाद छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने जिलाधिकारी पर कार्रवाई की हो. लेकिन इस वीडियो को देखने के बाद आईएएस अधिकारी के पावर व रौब को लेकर चर्चा एक बार फिर से सोशल मीडिया के अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर होने लगा है. 


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ऐसे में जब चर्चा आईएएस अधिकारी पर हो ही रही है तो आइए लगे हाथ उस किस्से को जानते हैं जब पटना के डीएम ने चुनाव प्रचार करने आए देश के डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी (Lal Krishan Advani) को आचार संहिता का हवाला देकर भाषण देने से रोक दिया था. 


यह बात 7 अप्रैल 2004 की है. उस वक्त बिहार के पटना जिले के जिलाधिकारी गौतम गोस्वामी सुर्खियों में आ गए थे, जब उन्होंने देश के डिप्टी पीएम लालकृष्ण आडवाणी के मंच पर जाकर उनको बोलने से रोक दिया था. 


कौन थे गौतम गोस्वामी?
गौतम मूल रूप से बिहार के डेहरी आनसोन के रहने वाले थे. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से मेडिसिन में स्नातक फिर परास्नातक गौतम गोस्वामी ने जब सिविल सर्विसेज में जाने का फैसला किया तो सभी जानते थे कि चिकित्सा विज्ञान की कक्षाओं में हमेशा टॉप रहने वाला गौतम वहां भी बाजी मारेगा. हुआ यही, 1991 की सिविल सेवा परीक्षाओं में गौतम गोस्वामी ने सातवां स्थान प्राप्त किया. गौतम की सफलता पर दोस्तों ने बीएचयू कैंपस में शानदार पार्टी का आयोजन किया था. 


क्यों आडवाणी को भाषण देने से गया था रोका
बात 2004 के लोकसभा चुनाव की है. देश के डिप्टी पीएम और गृहमंत्री लाल कृष्ण आडवानी की पटना के गांधी मैदान में जनसभा हो रही थी कि तभी घड़ी की सुई 10 को पार कर गयी. उसी वक्त डीएम गौतम गोस्वामी स्टेज पर पहुंचे और माइक पकड़ कर बोले 'योर टाइम इज ओवर'. गौतम गोस्वामी ने चुनाव आयोग के दिये गए निर्देशों के आदेश का पालन करते हुए उप प्रधानमंत्री को भाषण देने से रोक दिया था.


EC के किस आदेश के तहत DM ने किया ऐसा
चुनाव आयोग ने आदेश दिया था कि कोई भी नेता या पार्टी रात 10 बजे के बाद लाउडस्पीकर और साउंड स्पीकर का प्रयोग नहीं करेगा. ऐसे में आडवाणी मंच पर भाषण दे रहे थे लेकिन जैसे ही रात के 10 बजे पटना के डीएम ने देश के डिप्टी पीएम व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के माइक पर हाथ रख के कहा ‘योर टाइम इस ओवर’ और भाषण देने से मना कर दिया. इस कार्रवाई के चर्चे पूरे देश में हुए और गौतम ने खूब सुर्खियां बटोरी.


घटना के बाद क्या हुआ
पटना के डीएम गौतम के इस कार्रवाई के बाद देश-विदेश में उनके खूब चर्चे हुए. टाइम्स मैग्जीन ने कवर पर उनकी तस्वीर छापी और लिखा कि दूसरे अधिकारियों को भी इससे प्रेरणा लेना चाहिए. एक साल बाद ही बाढ़ घोटाला में उनका नाम आया और एक साल के लिए उनको जेल भी जाना पड़ा.


गौतम गोस्वामी को क्यों हुई जेल 
एक साल बाद 2005 में डीएम गोस्वामी को जिस घोटाले में सजा मिली उसमें मुख्य अभियुक्त संतोष झा था जो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के साले साधु यादव का करीबी था. लालू यादव के साले साधु यादव ने कोर्ट में सरेंडर किया था, कुछ दिनों में साधु यादव को जमानत मिल गई थी. लेकिन इसी मामले में गौतम गोस्वामी को 1 साल जेल की सजा काटने के बाद रिहाई मिली. गौतम गोस्वामी को सजा तो मिली लेकिन यह साबित अंत तक नहीं किया जा सका कि उन्हें इस मामले में क्या लाभ मिला. दरअसल, उन पर आरोप था कि उन्होंने साधु यादव के आदमी के द्वारा किए जा रहे घोटाला के बारे में पता होने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की थी.


जेल से निकलने के बाद हुई मौत
जेल में ही गौतम गोस्वामी को कैंसर हो गया था और जेल से रिहा होने के 1 साल बाद कैंसर से उनकी मौत हो गयी. गौतम गोस्वामी कई लोगों के दिलों में आज भी जिंदा है. आरके सिंह के बाद गौतम ऐसे दूसरे आईएएस अधिकारी थे, जिन्होंने देश के उप प्रधानमंत्री पर सीधे कार्रवाई की थी.