मौसम का अध्ययन वैज्ञानिक रूप से आमतौर पर खगोल विज्ञान में आता है, लेकिन भारत में प्राचीन काल के समय से ज्योतिष के माध्यम से इसका अध्ययन होता आ रहा है. अधिकांशत: ज्योतिष विज्ञान और खगोल विज्ञान की ओर से हासिल किए गए तथ्यों में समानता होती है. आपको बता दें कि खगोल विज्ञान वैज्ञानिक रूप से तथ्यों का अध्ययन करता है तो ज्योतिष विज्ञान ग्रहणों की चाल के हिसाब से मौसम के बारे में भविष्यवाणी या पूर्वानुमान लगाता है. आज हम आपको बताते हैं कि ग्रहों के हिसाब से मौसम में क्या परिवर्तन होते हैं. दो ग्रहों के मेल से किस तरह का मौसम बनता है? और सबसे बड़ी बात यह कि आखिर बिहार में मानसून के कमजोर होने और बारिश न होने के पीछे का ग​णित क्या है?


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

READ ALSO: Bihar Weather: बिहार में मानसून फिर होगा एक्टिव! बारिश के इंतजार में बैठे किसान



सूर्य: आप सभी को पता है कि सूर्य की प्रकृति गर्म होती है. सूर्य अगर चंद्रमा के साथ मिलकर कोई योग बना रहे हैं तो फिर मौसम अपने चरम पर होता है. वहीं सूर्य अगर शुक्र के साथ मिलकर योग बना लें तो बारिश का योग बनता है. जाहिर है कि अभी सूर्य और शुक्र का योग नहीं बन रहा है. 


चंद्रमा: चंद्रमा की ठंड प्र​कृति के बारे में भी आप सभी जानते होंगे. रात में ये बली होते हैं. चंद्रमा अगर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो यह वर्षाकारक होता है और बारिश का योग बनता है. बिहार में बारिश नहीं हो रही है तो जाहिर सी बात है कि चंद्रमा मकर राशि में नहीं हैं. 


मंगल: वैसे तो मंगल की प्रकृति ठंडी मानी जाती है लेकिन अगर यह सूर्य और शनि के साथ मिलकर योग बना ले तो फिर दूर दूर तक बारिश की संभावना नजर नहीं आती. ऐसे में सूखे का योग बनता है, जो बहुत नुकसानदेह होता है. बिहार में कमोबेश वैसी ही संभावना नजर आ रही है. 



बुध: इनके प्रबल होने से माना जाता है कि मौसम में नमी बढ़ जाती है. मौसम साफ रहता है और हवा में उच्च दबाव होता है. 


गुरु: ये भी साफ मौसम के कारक माने जाते हैं. हालांकि इनकी प्रकृति ताप बढ़ाने में सहायक साबित होती है. गुरु के प्रबल होने से हवा में शुष्कता ज्यादा होती है. 


READ ALSO: इन 3 राशियों पर बरसेगी भगवान गणेश की कृपा, मिलेंगे ये शुभ संकेत


शुक्र: इनके प्रबल होने की स्थिति में हिमपात होती है. हवा में आर्द्रता बढ़ जाती है. अगर ये मंगल के साथ मिलकर कोई योग बना रहे हैं तो फिर तूफान की स्थिति पैदा होती है. 


शनि: ये सूर्य के साथ मिलकर ठंडा और धुंधला मौसम बनाते हैं. शनि ग्रह के बली होने की स्थिति में एकसमान मौसम कायम रहता है. अगर राहू या केतु के साथ इनका योग बन गया तो फिर बारिश, ओले गिरने और बिजली गिरने की संभावना बन जाती है.