Bihar News: पटना के ऐतिहासिक डाक बंगला इलाके की आखिरी धरोहर इमारत यूसुफ बिल्डिंग अब इतिहास बन गई है. देश की आजादी की गवाह इस इमारत को ढहा दिया गया है, जिसके भूतल की पुरानी दुकानें, विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए शराणार्थी परिवारों के आजीविका का साधन बनी थीं. कई स्थानीय निवासियों के अनुसार इमारत को ढहाने का काम दो दिन पहले शुरू किया गया था. रविवार रात को बुलडोजर ने तीन मंजिला इमारत के एक बड़े हिस्से को जमींदोज कर दिया.


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यूसुफ बिल्डिंग 19वीं सदी के प्रसिद्ध डाक बंगले के सामने स्थित थी. ब्रिटिश काल के उस बंगले को भी 1990 में जिला बोर्ड अधिकारियों ने एक ऊंची इमारत बनाने के लिए ढहा दिया था. मई में यूसुफ बिल्डिंग जायजा लिया था और तीन पीढ़ियों से इसके भूतल पर नामी डिपार्टमेंटल स्टोर रोशन ब्रदर्स को संचालित करने वाले कपूर परिवार के वंशजों से बातचीत की थी. 


राकेश कपूर (62) के दादा रोशन लाल कपूर ने विभाजन के बाद यहां आकर दुकान खोली थी. राकेश कपूर का इस इमारत से बेहद भावनात्मक जुड़ाव था, ऐसे में इमारत के ढहाए जाने के बाद से वह काफी दुखी हैं. राकेश ने कहा कि मैं इमारत के मलबे के ढेर और यूसुफ बिल्डिंग के बचे हिस्से के पास गुजरा. ऐसा लगता है कि मानो खुद के शरीर को चोट पहुंची हो... मानों अपने ही परिवार के किसी सदस्य को खो दिया हो.


रोशन ब्रदर्स के अलावा, हाल ही तक इसके भूतल पर खन्ना स्टोर्स, लखनऊ जेरॉक्स हाउस (पहले लखनऊ स्वीट हाउस) और प्रकाश स्टूडियो संचालित किए जा रहे थे. राकेश ने कहा कि अगर पहले ही कुछ कदम उठाए गए होते तो इमारत को ढहने से बचाया जा सकता था जो पटना की प्रतिष्ठित धरोहर और डाक बंगला चौराहा पर अंतिम ऐतिहासिक स्थल थी. उन्होंने कहा कि इसे संरक्षित किया जाना चाहिए था.


इमारत भले ही नहीं रही, लेकिन संबंधों में गर्मजोशी बनी रहेगी. एक सेवानिवृत्त मार्केटिंग पेशेवर और लेखक कोलकाता के 71 वर्षीय राजीव सोनी ने कहा कि डाक बंगला क्षेत्र के आखिरी ऐतिहासिक स्थल के ढहने की खबर सुनकर उनकी पुरानी यादें ताजा हो गईं. सोनी ने 1988 में ही पटना छोड़ दिया था. 


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सोनी ने कहा कि मुझे यूसुफ बिल्डिंग के मालिक परिवार के बारे में 1970 के दशक में ही पता चला, लेकिन इस बिल्डिंग की संचालित की जाने वाली दुकानें, साथ ही बगल में स्थित जे जी कैर एंड संस और सनशाइन ड्राई क्लीनर्स, पटना में हमारे बचपन की यादें थीं. उन्होंने कहा कि 1959 में मैं छह साल का था जब हमने पटना छोड़ दिया और मैं अक्सर अपने माता-पिता के साथ रोशन ब्रदर्स के यहां जाता था.


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