चतरा : भीषण गर्मी का की मार सबसे अधिक सुदूरवर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों को झेलना पड़ रहा है. मई महीने की गर्मी समाप्त हो चुकी है और अब जून में भीषण उमस के बीच तापमान 45 डिग्री से अधिक पहुंच चुका है. इससे झारखंड के चतरा की सभी नदी, तालाब, कुआं और नाले सूख गए हैं. जून महीने की भीषण गर्मी अभी बाकी है, ऐसे में चतरा के अधिकांश प्रखंड में जलाशय सूख चुके हैं. इसके कारण लोगों को नदी नालों का दूषित पानी पीना पड़ रहा है.


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सरकार द्वारा ग्रामीण इलाकों में पेयजल आपूर्ति के लिए लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं. अनुसूचित जाति और जनजाति इलाकों में शुद्ध पेयजल के लिए सोलर सिस्टम पाइप लाइन योजना भी जारी है. इसके बावजूद क्षेत्र के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं.



स्थिति यह है कि मूलभूत सुविधा की तो दूर की बात शुद्ध पेयजल के लिए यहां की जनता आज भी जूझ रही है. मयूरहंड, लावालौंग, टंडवा, कान्हाचट्टी और कुंदा प्रखंड के गांवों में पानी की भीषण समस्या उत्पन्न हो चुकी है. कुंदा प्रखंड के सुदुरवर्ती गांवों में रहने वाले लोग नदी, नाले और चुआ का गंदा और दूषित पानी पीकर अपना प्यास बुझा रहे हैं. साथ ही अपने छोटे-छोटे बच्चों की प्यास भी दूषित पानी पिलाकर बुझा रहे हैं.


ऐसे में न सिर्फ दूषित और गंदा पानी पीने से इनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है, बल्कि पूरा इलाक गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. आज भी जिले का कुंदा प्रखंड के लोग मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं. सिंदुरी, बाचकुम, खुटबलिया, हारुल, चितवातरी गांव की स्थिति काफी भयावह है. इन गांवों में करीब दो सौ घर और पांच सौ की आबादी हैं. यहां प्यास बुझाने के एक भी सुगम साधन नहीं हैं. अब ऐसे में सवाल है कि इन इलाकों में कोई अपना रिश्ता क्यूं करे, जंहा समस्याओं का अंबार हो.


इस भीषण समस्या के बारे में पेयजल और स्वच्छता विभाग के कार्यपालक अभियंता सुनील कुमार को अवगत कराया तो उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में चापाकल मरम्मती टीम भेजा जाएगा और तत्काल टैंकर से पानी की व्यवस्था की जाएगी. उन्होंने ने यह भी कहा कि सुदूरवर्ती गांव के टोला में पेयजल समस्या को दूर करने के लिए योजना बनाई जा रही है. हालांकि वह इसे गंभीर समस्या मानने से इनकार कर रहे हैं.