पटना: जेडीयू से निकाले जाने के बाद प्रशांत किशोर पहली बार बिहार पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने प्रेस को संबोधित करते हुए जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार के साथ अपने विवादों और आगे की रणनीति के विषय में बातचीत की. अब इसके बाद सियासी हलकों में प्रतिक्रियाओं का बाजार गर्म हो गया. जेडीयू के फायर ब्रांड नेता अजय आलोक ने पीके को कंफ्यूज बताते हुए कहा कि उन्हें राजनीति की जरा भी समझ नहीं है.


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अजय आलोक ने कहा कि पीके ने कहा कि नीतीश कुमार को पिता की तरह मानते हैं और इसके बाद खोज-खोज कर जो कमियां नहीं हैं, वह भी निकाल रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन्होंने नीतीश कुमार को बेच कर अपना बिजनेस खड़ा कर लिया था. उन्होंने विचारधारा की बात पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कहते हैं कि गोडसे और गांधी एक साथ काम नहीं कर सकते तो 2014 और 2012 में नरेंद्र मोदी के साथ काम कौन कर रहा था. बस बरगला रहे हैं.


इसके बाद उन्होंने कहा कि बिहार में युवा राजनीति की फौज खड़ी करने की बात कर रहे हैं और कह रहे हैं 10 हजार मुखिया खड़ा करेंगे बिहार में. इनको जानकारी ही नहीं है कि बिहार में 8406 पंचायत है और ये 10 हजार मुखिया बनाएंगे. विचारधारा की बात करते हैं तो बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार पर क्यों नहीं कुछ कहते. वहां तो साथ दे रहे हैं.


अजय आलोक ने लालू यादव की सरकार से तुलना करने की बात पर उन्होंने कहा कि तब क्या डोनाल्ड ट्रंप से करें. जिस राज्य में हैं, वहां की उसी सरकार से करेंगे न. जिससे शासन ग्रहण किया है, उसी से न करेंगे. राजनीतिक समझ है नहीं. ट्विटर और फेसबुक से राजनीति नहीं चलती, जमीन पर उतरना पड़ेगा तब जानेंगे राजनीति की अहमियत. 


इसके अलावा जेडीयू की ओर से राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने भी पीके के बयानों पर हमला किया है. उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर एक भरे हुए कारतूस की तरह हैं जिसके दागे जाने पर भी कुछ असर नहीं होता है. हमारे नेता नीतीश कुमार हैं और उन्हें किसी के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. बिहार की जनता जानती है कि उन्होंने क्या काम किया है.


जेडीयू ने कहा कि महाराष्ट्र और केरल जैसे राज्यों से बिहार की तुलना करना ठीक नहीं है. नीतीश कुमार बिहार के विकास में लगे हैं. इनमें से किसी की भी उतनी हैसियत नहीं है कि बिहार को पीछे चलने की जरूरत पड़े.