पटना:Bihar Politics: लोकनायक की जयंती हो और कोई बड़ा जलसा न हो, ये कम से कम बिहार की धरती पर तो नामुमकिन है. ऐसे में, जयप्रकाश नारायण की जयंती पर इस बार भी सियासी रंग खूब जमा. जेपी की जन्मभूमि पर सियासी दिग्गजों का जमघट लगा. जयंती का पूरा कार्यक्रम BJP की तरफ से आयोजित था. ऐसे में किसी अन्य पार्टी के नेताओं का यहां आना नामुमकिन ही था. इसलिए जेपी की जयंती पर उनके गांव में सिर्फ BJP के ही दिग्गज पहुंचे. केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बिहार की धरती पर पिछले 20 दिनों के भीतर ये दूसरा दौरा था. अमित शाह को आना था, तो बिहार बीजेपी ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी थी.


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बिहार बीजेपी के तमाम पदाधिकारी, बिहार बीजेपी के सभी सांसद-विधायक, बिहार से ताल्लुक रखने वाले सभी केन्द्रीय मंत्रियों ने इस कार्यक्रम की तैयारी में जी-जान लगा दिया. कार्यक्रम की एक और खासियत ये रही कि इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी आना हुआ. दरअसल, सिताब दियारा जेपी का गांव है. ये गांव बिहार के सारण जिले में है जिसकी सीमा उत्तर प्रदेश के बलिया से भी लगती है. इसलिए यूपी के लोग भी जेपी को हमेशा से अपना मानते रहे और अपना भरपूर प्यार जयप्रकाश नारायण को दिया. उत्तर प्रदेश के लोगों का मानना है कि जेपी उनके बलिया जिले से ताल्लुक रखते थे. बिहार-यूपी के लोगों ने हमेशा मिलकर जेपी को सम्मान दिया.


इस बार जब केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे तो सिताब दियारा में जनसैलाब उमड़ पड़ा. बिहार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के लोग भी बड़ी संख्या में जेपी को नमन करने उनकी जन्मभूमि पर पहुंचे.


जन्मभूमि से ऐलान-ए-जंग, योगी-शाह ने मंच से भरी हुंकार 


जेपी की जन्मभूमि पर पहुंचे अमित शाह और योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में नीतीश कुमार पर निशाना साधा. योगी आदित्यनाथ ने बिहार के युवाओं की जमकर तारीफ की. योगी ने कहा कि 'बिहार की प्रतिभा का तो पूरा देश ही नहीं, दुनिया भी लोहा मानती है. बिहार के युवाओं में जो हुनर है वो कहीं और देखने को नहीं मिलता. लेकिन इस प्रतिभा को प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार ने रोक रखा है.'


योगी आदित्यनाथ यहीं तक नहीं रुके. उन्होंने इशारों में बिहार सरकार पर खूब हमला बोला. योगी ने कहा कि 'जब अपराध और भ्रष्टाचार का गठजोड़ हो जाता है तो कोढ़ में खाज के समान होता है. बिहार में इस वक्त भ्रष्टाचार और अपराध का बोलबाला है. इसकी वजह से जेपी के सपनों को उड़ान नहीं मिल पा रही है. जिन युवाओं की बात जेपी करते थे, वो प्रतिभाशाली युवा करप्शन के माहौल में घिरकर रह गए हैं.'


अमित शाह ने तो खुलकर नीतीश कुमार पर हमला बोला. शाह ने कहा कि 'जेपी के सिद्धांतों की बात करने वाले आज कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गए हैं. जिस कांग्रेस के लोकतंत्र विरोधी आचरण, भ्रष्टाचार, परिवारवाद के खिलाफ जेपी ने क्रांति का बिगुल बजाया, आज जेपी की राह पर चलने का दावा करने वाले उसी कांग्रेस के साथ सरकार चला रहे हैं.'


अमित शाह ने तो यहां तक कहा कि 'खुद को जेपी का शिष्य बताने वाले सत्ता पाने के लिए पांच-पांच बार पाला बदल लेते हैं. ऐसे लोग आज बिहार के मुख्यमंत्री बने बैठे हैं. इनका मकसद सिर्फ सत्ता पाना है. ये लोग जेपी के विचार और सिद्धांतों पर नहीं चलते. इनका सिर्फ एक ही सिद्धांत है और वो है सत्ता में बने रहना. कुर्सी के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं.'


जेपी को किया याद, 'सिंहासन' की बिछी बिसात


मौका था जयप्रकाश नारायण की जयंती का और उनके गांव में खुद गृहमंत्री मौजूद थे. इस दौरान जेपी की प्रतिमा का अनावरण हुआ तो सभी लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. अमित शाह, योगी आदित्यनाथ समेत तमाम नेताओं ने जेपी को अपने शब्दों के जरिए याद किया.


ये सच है कि जेपी, लोहिया, कर्पूरी जैसे महानायकों के सिद्धांत अमर हैं, लेकिन राजनीतिक दलों के लिए ये राजनीति करने का एक हथियार भी होता है. सभी दल समय-समय पर इन महापुरुषों के नाम को भुनाते हैं. जेपी की जयंती पर भी ऐसा हुआ. सिताब दियारा में सजे मंच से दिल्ली के 'तख्त' के लिए 2024 में होने वाली जंग का ऐलान भी कर दिया गया. इस कार्यक्रम के जरिए बिहार और उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को सीधा संदेश देने की कोशिश की गई. जनता से अपील की गई कि 2024 की लड़ाई में BJP का साथ देना है.


जेपी दिलों में जिंदा, उन जैसा कोई नहीं 


जयप्रकाश नारायण बिहार की माटी के वो लाल थे, जिन्होंने पटना के गांधी मैदान से आवाज़ लगाई और पूरे देश में बदलाव की आंधी आ गई. ऐसे में उनका कद पूरे देश के लिए बहुत बड़ा रहा है, लेकिन बिहार का होने की वजह से यहां के लोगों का और नेताओं का भरपूर प्यार उन्हें नसीब हुआ. ये सच है कि जेपी हमारे बीच सशरीर नहीं हैं, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत लोगों के दिलों में जिंदा हैं और सदा रहेंगे.


हालांकि एक कड़वा सच ये भी है कि भले ही सारे सियासी दल उनके विचारों पर चलने का दावा करते हों, लेकिन उनके आस-पास भी कोई राजनेता आज नज़र नहीं आता. जेपी ने ताउम्र सिर्फ सामाजिक, राजनीतिक बदलाव और सुधार के प्रयास किए, लेकिन कभी किसी पद या प्रतिष्ठा का लोभ उन्हें नहीं रहा. जिस संपूर्ण क्रांति के जरिए उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस सरकार को देश से उखाड़ दिया था, उसके बाद वो देश के प्रधानमंत्री भी बन सकते थे. उस दौरान देश में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था जो उनका विरोध करता. लेकिन जेपी तो बस जेपी थे. उन्होंने किसी भी पद को ग्रहण करने से इंकार कर दिया और आजीवन अपने सिद्धांतों और विचारों के साथ अडिग रहे.


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