आनंद मोहन ने खुद को `सिया राम वाली पार्टी` का नेता बता भाजपा पर साधा निशाना
बिहार में जेल से रिहाई के बाद से ही बाहुबली आनंद मोहन के तेवर कुछ ज्यादा ही तल्ख हैं.
पटना: बिहार में जेल से रिहाई के बाद से ही बाहुबली आनंद मोहन के तेवर कुछ ज्यादा ही तल्ख हैं. आपको बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई के बाद से बिहार की सियासी फिजा में उनका नाम खूब गूंज रहा है. बता दें कि आनंद मोहन की रिहाई के फैसले का विरोध पूरी भारतीय जनता पार्टी तो नहीं कर रही है लेकिन भाजपा के कुछ नेताओं की तरफ से इसको लेकर बयान जरूर आए हैं और इसको लेकर आनंद मोहन की तरफ से तल्ख टिप्पणियां जारी हैं. बता दें कि आनंद मोहन ने भाजपा पर निशाना साधते हुए थोड़े दिन पहले अपने को हाथी बताते हुए तलवे के नीचे कुचल देने वाला बयान दिया था. अब भाजपा के खिलाफ आनंद मोहन के एक और बयान से हंगामा हो गया है.
दरअसल इस बार भाजपा पर निशाना साधते हुए आनंद मोहन जय श्री राम से जय सिया राम तक पहुंच गए. उन्होंने सीतामढ़ी स्थित पुनौरा धाम में मां सीता के भव्य मंदिर बनने की मांग की और साथ ही भाजपा पर इशारों में हमला बोलते हुए कहा कि हम श्री राम वाली नहीं सिया राम वाली पार्टी हैं।
उन्होंने हालांकि कहा कि वह अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर का स्वागत करते हैं. इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि राम के साथ सिया का भी तो भव्य मंदिर बनना चाहिए. ऐसे में सिया राम दोनों का उद्धार होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जहां माता सीता का प्राक्ट्य हुआ वहां भी सरकार को भव्य मंदिर के निर्माण की व्यवस्था करनी चाहिए. हम तो यह मांग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हम सिया राम वाले लोग हैं श्री राम वाले नहीं.
बता दें कि आनंद मोहन को लेकर राजनीति के जानकारों की मानें तो इस तरह की बयानबाजी वह राजद और जदयू के इशारों पर कर रहे हैं. राजद के कद्दावर नेता रघुवंश सिंह के निधन के बाद से राजद के लिए राजपूत समाज के नेता के रूप में आनंद मोहन का साथ मिला है. ऐसे में चुनाव के बाद ही पता चल पाएगा कि राजद और जदयू को राजपूत समाज का कितना साथ मिला, लेकिन भाजपा भी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी में जुट गई है.
डीएम जी. कृष्णैया की के मामले में आनंद मोहन सिंह जेल की सजा काट रहे थे उनपर आरोप लगा था कि उन्होंने इस हत्या के लिए भीड़ को उकसाया था और यह साबित भी हुआ था. आनंद मोहन को इस मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी. बाद में आनंद मोहन की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था.वह इस मामले में 17 साल से जेल में गुजार रहे थे. नीतीश सरकार ने जेल निययों में फेरबदल कर आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता बनाया. इस मामले को लेकर जी कृष्णैया की पत्नी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं हैं.