Bihar bridge collapse Video: भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस के दावे करने वाली नीतीश सरकार की पोल खुल गई है. दरअसल बिहार में गंगा नदी पर बन रहा एक पुल भरभराकर गंगा के आगोश में समा गया. इस पर विपक्ष जहां सरकार पर लगातार हमला बोल रही है, वहीं सरकार के मुखिया नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बयानों को एक जगह रखकर सुनेंगे तो आपको समझ में आएगा कि बिहार सरकार इस हादसे को लेकर कितनी संजीदा है. 


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हुआ ये कि बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में गंगा नदी पर बन रहा अगुवानी पुल तीसरी बार हादसे का शिकार हुआ जिसमें से दो बार तो यह पुल भरभराकर गिर चुका है और एक बार आंधी की वजह से इसका एक हिस्सा टूट गया था. पुल को बनाने को लेकर किस तरह के मानकों का इस्तेमाल हो रहा है और कैसे मैटेरियल इसमें डाले जा रहे हैं. इस पुल के भरभराकर गिरने के वीडियो को देखकर आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं. आपको बता दें कि ओडिशा में हुए रेल हादसे के बाद केंद्र सरकार से नैतिक जिम्मेदारी के आधार पर इस्तीफे की मांग करनेवाले तेजस्वी यादव का इस हादसे पर जो तर्क दे रहे हैं उसे सुनकर तो आप दंग रह जाएंगे. 


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बता दें कि खगड़िया-अगुवानी-सुल्तानगंज के बीच निर्माणाधीन इस पुल के सुपर स्ट्रक्चर का ऊपरी हिस्सा भरभराकर गिरा और गंगा नदी में समा गया. चार साल पहले इस पुल का शिलान्यास नीतीश कुमार ने अपने कर कमलों से किया था. इसके ठीक दो साल बाद पुल हादसे की भेंट चढ़ गया था लेकिन तब भी इससे सीख नहीं ली गई और फिर पिछले साल अप्रैल में तो आंधी की वजह से पुल का एक हिस्सा टूट गया लेकिन तब भी सरकार की नींद नहीं टूटी. अब जब गंगा के बीचोंबीच पुल ताश के पत्तों की तरह ढह गया तो सीएम नीतीश ने पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत को इस मामले की जानकारी लेने और साथ ही घटना की जांचकर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने का निर्देश दिया. 


वहीं इस मामले पर तुरंत बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने मोर्चा संभाल लिया और जो कहा वह सुनकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे. उनके तर्क ऐसे थे कि सरकार अब सीधे निशाने पर आ जाएगी. एक तरफ जहां नीतीश कुमार इस पुल के निर्माण में हुई अनियमितता की जांच और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दे चुके हैं तो वहीं दूसरी तरफ तेजस्वी यादव पुल के डिजाइन में ही फॉल्ट बता रहे हैं. तेजस्वी यादव की बात को सच मान भी लिया जाए तो फिर सवाल उठता है कि सरकार फिर इस पुल के निर्माण के कार्य को आगे कैसे बढ़ा रही थी? क्या सरकार को हादसे का इंतजार था? क्या नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री के बीच इस पुल के डिजाइन में फॉल्ट को लेकर बात नहीं हुई थी? क्या सबकुछ जानते हुए भी इस निर्माण कार्य को निर्बाध रूप से आगे चलाने का आदेश मिलता रहा? ऐसे ढेरों सवाल हैं जो दोनों के बयानों के बाद निकलकर सामने आए हैं. 


तेजस्वी तो यह भी मान रहे हैं कि यह पुल पहली बार नहीं गिरा है और जब पहली बार गिरा था तो वह नेता प्रतिपक्ष थे और इसपर सवाल भी उठाया था. उन्होंने यह भी कहा कि जब वह पथ निर्माण मंत्री बने तो उन्होंने आईआईटी रुड़की से इस पुल के डिजाइन की जांच कराई जिसमें फॉल्ट पाया गया. तब फिर से उस हिस्से को तोड़कर बनाने का काम शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि इस पुल को लेकर वह पहले भी आशंका जता चुके हैं. मतलब जिस विभाग के पास इस पुल के निर्माण का कार्य था वह खुद ही मान रहे हैं कि डिजाइन में गड़बड़ी थी लेकिन पुल का निर्माण होता रहा. वहीं सीएम नीतीश को इसके बारे में जानकारी दी गई थी या नहीं यह तो तेजस्वी ही बता सकते हैं. मतलब सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट के डिजाइन में झोल था और डिप्टी सीएम इसको लेकर अब मीडिया के सामने सफाई दे रहे हैं जब पुल ढह चुका है.