Bihar Caste Based Census: गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार की तरफ से बिहार में कराए गए जातीय सर्वेक्षण के आंकड़े सार्वजनिक कर दिए गए हैं. इस आंकड़े के सार्वजनिक होते हीं बिहार में सियासी भूचाल आ गया है. राजनीतिक दल इसे लोकसभा चुनाव 2024 में फायदे और नुकसान से जोड़कर देख रही है. ऐसे में अब नीतीश सरकार ने इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद सर्वदलीय बैठक बुलाई है. 


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बता दें कि जातीय जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद नीतीश सरकार की तरफ से 3 अक्टूबर को सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. ताकि सभी दलों के सामने इस आंकड़ों को रखा जा सके और फिर इस पर आगे जो फैसला लेना हो वह लिया जा सके. 


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दरअसल इस सर्वदलीय बैठक को लेकर नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने कहा कि जातीय जनगणना से संबंधित सभी आंकड़ों का सर्वदलीय बैठक में आए नेताओं के सामने प्रेजेंटेशन होगा साथ ही इसके बाद जो सरकार करेगी वह सबको पता चल जाएगा. हालांकि सरकार जब इस रिपोर्ट को तैयार कर रही थी तो यह कहा जा रहा था कि इसके जरिए किस जाति की सामाजिक या आर्थिक स्थिति क्या है इसके बारे में जानकारी ली जाएगी. लेकिन, जब जातीय जनगणना के आंकड़े जारी किए गए तो इसमें ये तो बताया गया कि किस जाति की कितनी संख्या है लेकिन, उन जातियों के सामाजिक या आर्थिक स्थिति के आंकड़े जारी नहीं किए गए. 


नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने कहा कि इसके आंकड़े जारी किए जा चुके हैं लेकिन इसको लेकर आगे क्या कदम उठाया जाएगा इस पर अभी कुछ नहीं बोलेंगे. अब सर्वदलीय बैठक के बाद ही इसपर आगे फैसला लिया जाएगा. उन्होंने आगे कहा कि इसपर फिलहाल सभी दलों की राय जानेंगे, फिर देखिएगा आगे क्या होता है? उन्होंने केंद्र सरकार से भी पूरे देश में जातीय जनगणना कराने की मांग की. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि एससी,एसटी के लिए कुछ किया नहीं गया. अति पिछड़ों को अलग से आरक्षण नहीं दिया गया. केंद्र सरकार पहले से मुसलमानों की तो विरोधी है ही.