Bihar General Caste Economic Report: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने 1990 के दशक में एक नारा दिया था- 'भूराबाल' साफ करो. उनका ये नारा अगड़ी जातियों के खिलाफ था. उनके इस नारे में भू का मतलब- भूमिहार, रा से राजपूत, बा का ब्राह्मण और ल से लाला था. सवर्ण जातियों के खिलाफ लालू के नारा हिट हुआ और राजद अध्यक्ष ने 15 साल बिहार पर राज किया. नीतीश कुमार की मदद से लालू की पार्टी एक बार फिर से सत्ता में है और लालू के छोटे बेटे तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री हैं. जातिगत राजनीति के इर्द-गिर्द चल रही बिहार की महागठबंधन सरकार ने मंगलवार (7 नवंबर) को जातीय सर्वे में आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी कर दी है. इस रिपोर्ट में लालू के 'भूराबाल' की आर्थिक हालत को भी बयां किया गया है.


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रिपोर्ट में 'भूराबाल' की आर्थिक स्थिति


रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में सामान्य वर्ग में गरीबों की संख्या सबसे कम है. सामान्य वर्ग में आने वाली जातियों की बात करें तो उनमें भूमिहार को सबसे ज्यादा 25.32% गरीब बताया गया है. इसके बाद ब्राह्मण परिवार में 25.3%, राजपूत परिवार 24.89%, कायस्थ परिवार 13.83% गरीब हैं. रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में सवर्णों की तादाद 15.52 फीसदी है. जिनमें भूमिहार की आबादी 2.86 फीसदी, ब्रहाणों की आबादी 3.66 फीसदी, राजपूत की आबादी 3.45 फीसदी और कायस्थ 0.6011% हैं. 


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SC वर्ग की आर्थिक हालत सबसे बुरी


इस रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में अनुसूचित जाति वर्ग में 42.93%, अनुसूचित जनजाति वर्ग में 42.7%, अति पिछड़ा वर्ग में 33.58%, पिछड़ा वर्ग में 33.16% और सामान्य वर्ग में 25.09% परिवार गरीब हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित जाति के लोगों की आर्थिक हालत सबसे ज्यादा खराब है. प्रदेश में 19 प्रतिशत से अधिक अनुसूचित जाति की आबादी है. वहीं, अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1.68 प्रतिशत है.