Bihar News: बिहार सरकार ने गांधी जयंती (02 अक्टूबर) के दिन जातीय जनगणना की रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दी है. जातीगत जनगणना की रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा हुआ. जातीय जनगणना में बिहार की आबादी कुल 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 से अधिक बताई गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में हिन्दुओं की आबादी सबसे ज्यादा है, तो दूसरे नंबर पर मुस्लिम आबादी है. राज्य में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या 1 फीसदी से भी कम हैं. सिख धर्म 0.011 प्रतिशत, तो वहीं बौद्ध धर्म को मानने वालों की संख्या 0.0851 प्रतिशत है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


रिपोर्ट के हिसाब से प्रदेश में 81.99 फीसदी आबादी हिंदू है. हिंदुओं में सबसे ज्यादा आबादी अत्यंत पिछड़ा वर्ग की है. रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में अत्यंत पिछड़ा 36 प्रतिशत तो पिछड़ा वर्ग 27 प्रतिशत हैं. वहीं प्रदेश में अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत से अधिक है तो 1.68 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 15.52 प्रतिशत सवर्ण हैं. यह रिपोर्ट अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की परेशानी बढ़ा सकती है.


ये भी पढ़ें- ​ Bihar Caste Census: 36% वाले सिर्फ 5, 27% से 12 मंत्री..; जातीय जनगणना बिगाड़ेगी नीतीश कैबिनेट की तस्वीर?


HAM ने कर दी बड़ी डिमांड


दरअसल, आबादी के हिसाब से हिस्सेदारी देने की आवाज अब बुलंद हो सकती है. वैसे तो इस बात को सबसे पहले राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा था. लेकिन अब जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी यही डिमांड कर रही है. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा की राष्ट्रीय सचिव डॉ. तारा श्वेता आर्या ने पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा कि जातीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के सामने आने के बाद यह साफ हो गया है कि राज्य में अनुसूचित जाति अनुसूचित जन जाति पिछड़ा वर्ग और अति पिछड़ा वर्ग की बड़ी संख्या मौजूद है. 


ये भी पढ़ें- Caste Based Census Report: जातीय जनगणना की रिपोर्ट आई बिहार से, MP में विपक्ष पर बरस पड़े पीएम मोदी!


क्या CM अब बदलेंगे कैबिनेट की तस्वीर?


उन्होंने कहा कि इन आबादी पर आजतक ध्यान नहीं दिया गया. ना तो इन्हें नौकरियों में ही वह अवसर मिल पा रहा है, ना सामाजिक हिस्सेदारी मिल रही है. इन्हें आरक्षण का उचित लाभ मिल नही मिल पा रहा है, जिसके वह हकदार हैं. ऐसी स्थिति में सरकार को इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि जिसकी जितने हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी. इस लिहाज से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अपनी कैबिनेट की तस्वीर बदलनी पड़ेगी. क्योंकि, नीतीश कैबिनेट में अति पिछड़ा वर्ग से सिर्फ 5 मंत्री हैं. जबकि उनकी आबादी सबसे ज्यादा है. वहीं पिछड़ा वर्ग से 12 मंत्री हैं.


बीजेपी का क्या कहना है?


वहीं बिहार प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि उनकी पार्टी ने जाति आधारित गणना कराए जाने को अपना समर्थन दिया था. उन्होंने कहा कि इस कवायद के आज सार्वजनिक किए गए निष्कर्षों का अध्ययन करने के बाद ही उनकी पार्टी टिप्पणी करेगी. उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में पिछले कुछ वर्षों में 'बदली हुई सामाजिक और आर्थिक वास्तविकताओं' को नहीं दर्शाया गया है.