Bihar Politics: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी की वजह से सियासी गलियारे में चर्चाओं का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि प्रदेश की सियासत की नई खिचड़ी पक रही है. इसमें किस तरह का तड़का लगेगा, इसे जानने के लिए तो थोड़ा इंतजार करना ही पड़ेगा. इससे पहले सीएम नीतीश कुमार का हृदय परिवर्तन साफ नजर आ रहा है. इंडी गठबंधन में नजरअंदाज किए जाने के बाद मुख्यमंत्री को आज भाजपाई अच्छे लगने लगे हैं. अब वो अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर अरुण जेटली तक दिवंगत भाजपा नेताओं की जयंती मना रहे हैं. वैसे भी नीतीश के लिए यूटर्न मारना कोई नई बात नहीं है. वो इससे पहले भी कई बार पलटी मार चुके हैं. 


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बिहार में जो सियासी उठापटक मची हुई है उसकी शुरुआत मार्च से शुरु हुई थी. याद करिए चैती छठ के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कैसे अचानक से बीजेपी एमएलसी संजय मयूख के घर पर खरना का प्रसाद खाने पहुंच गए थे. संजय मयूख को गृह मंत्री अमित शाह का करीबी नेता माना जाता है. इसके अलावा वह बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया हेड भी हैं. मयूख के जरिए नीतीश कुमार ने बीजेपी को साधकर रखने की पहली चाल चली थी. 


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बीजेपी से जब जेडीयू की दूरी काफी ज्यादा देखने को मिल रहीं थीं उस वक्त भी नीतीश कुमार का विश्वासपात्र नेता बीजेपी आलाकमान के साथ जुड़ा हुआ था. उस नेता का नाम है जेडीयू के राज्यसभा सांसद और राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह. बहुत दूर न जाएं तो सितंबर में आयोजित हुई जी20 समिट में से भी नीतीश कुमार और पीएम मोदी की एक तस्वीर ने इंडी गठबंधन के हालात बदल दिए, जज्बात बदल दिए. 


इस तस्वीर ने याद दिला दिया साल 2017, जब पीएम मोदी के साथ नीतीश कुमार की ऐसी ही एक मुलाकात हुई और नीतीश कुमार महागठबंधन छोड़कर एनडीए में शामिल हो गए. बिना कुछ बोले एक तस्वीर ने यह अफवाहें फैलवा दीं कि सीएम नीतीश बीजेपी में शामिल हो सकते हैं. इंडी गठबंधन के नींव रखने के दौरान भी नीतीश कुमार बीजेपी के साथ अपने घनिष्ठ संबंध दिखाते रहे. 


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बिहार की राजनीति तीज-त्योहारों के इर्द-गिर्द ही चलती दिखाई देती है. 2022 में नीतीश कुमार लालू यादव की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे. इफ्तार की दावत का ऐसा असर हुआ कि लालू-नीतीश ने मिलकर बीजेपी को सत्ता से बेदखल कर दिया. 2017 या 2015 के ब्रेकअप पर भी ध्यान दें तो वहां भी तीज-त्योहारों पर हुई मुलाकात में ही सियासत की नई इबारत लिखने का दौर रहा है. अब एक खिचड़ी का त्योहार आ रहा है और एक बार फिर से बिहार की सत्ता में परिवर्तन के संकेत नजर आ रहे हैं.